Thursday, August 26, 2010

दुनिया-भर के ग़म थे/ और अकेले हम थे-gazal


दुनिया-भर के ग़म थे
और अकेले हम थे

साथ न कैसे देते
ग़म भी आखिर ग़म थे

टीस बहुत थी सुर में
बस स्वर ही मद्घम थे

खुशियाँ दूर सदा ही
ग़म  मेरे हमदम थे

सपने भंग हुए क्या
दिल दरहम-बरहम थे

आँखें तो गीली थीं
सूखे मन-मौसम थे

'श्याम’ सँवरते कैसे
सब किस्मत के खम थे

७२ dbg
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Thursday, August 19, 2010

काश मिल जाये कोई अपना -gazal


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गर खुदा खुद से जुदाई दे
कोई क्यों अपना दिखाई दे

काश मिल जाये कोई अपना
रंजो-गम से जो रिहाई दे

जब न काम आई दुआ ही तो
कोई फिर क्योंकर दवाई दे

ख्वाब बेगाने न दे मौला
नींद तू बेशक पराई दे

तू न हातिम या फरिश्ता है
कोई क्यों तुझको भलाई दे

डूबने को हो सफीना जब
क्यों किनारा तब दिखाई दे

आँख को बीनाई दे ऐसी
हर तरफ बस तू दिखाई दे

साथ मेरे तू अकेला हो
अपनी ही बस आश्नाई दे

फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन फ़ा



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Tuesday, August 10, 2010

मैं गुनहगार न होता तो फरिश्ता होता-गज़ल

ख्वाब हर हाल में है यार भला सा होता
मैं गुनहगार न होता तो फरिश्ता होता

टूटता घर न हमारा यूं कभी भी जानम
दिल में तेरे भी अगर प्यार जरा सा होता

चाँद जैसा है बदन झील सी तेरी आंखें
तुझ पे हर कोई फिदा होता न तो क्या होता

तू चली आती है छत पर जो अकेली जानम
चाँद को ख्वाब सरीखा सा है धोखा होता

जिन्दगी भर है जिसे ख्वाब में पूजा मैने
रूबरू होता अगर वो तो करिश्मा होता

यार इलजाम भला  क्या  तू लगाता मुझपर
झांक कर दिल में कभी अपने  जो देखा होता


क्या बिगड़ते यूं सभी काम तुम्हारे हमदम
बात करने का अगर तुमको सलीका होता

बेवफ़ा‘श्याम’अगर होता नहीं  जो यारो
आठवां फिर तो वो दुनिया  का अजूबा होता


फ़ाइलातुन,फ़इलातुन.फ़इलातुन ,फ़ेलुन


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Sunday, August 1, 2010

चल रहा हूं अकेला दोस्तो= गज़ल

 खुशबुओं का सफर है जिन्दगी
अजनबी सी मगर है जिन्दगी

फ़िक्र तेरी मेरी सभी की है
खुद से पर बेखबर है जिन्दगी

साँस धड़कन ही सिर्फ है नहीं
 है कलेजा जिगर है जिन्दगी

सुर्खियों की ललक ने दी बना
हादसों की खबर है जिन्दगी

 औरतों के नसीब से लगा
बेबसी का नगर है जिन्दगी

चल रहा हूं अकेला दोस्तो
अब कहां हमसफर है जिन्दगी

मौत मन्जिल अगर है”श्याम जी’
साँस की बस डगर है जिन्दगी



फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,मफ़ाइलुन
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