Thursday, December 30, 2010

है नया अन्दाज दिलबर तेरा--गज़ल

2

जिन्दगी से इक दुआ मांगी थी
मौत कब हमने भला मांगी थी

मौत से हमने दया मांगी थी
याने हाकिम से सजा मांगी थी

रूठ क्यों हमसे गई तू हवा
चुलबुली-सी इक अदा मांगी थी

है नया अन्दाज दिलबर तेरा
बेवफाई दी वफा मांगी थी

खिड़कियाँ सब खोल दीं उसने तो
रोशनी कुछ, कुछ हवा मांगी थी

बख्श दी क्यों मौत ही मौला
हमने तो तुमसे दवा मांगी थी

क्यों गिला तुमसे करेंश्याम हम
क्यों घुटन दे दी हवा मांगी थी
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन, फ़ेलुन









मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

Saturday, December 25, 2010

ख्वाब बेगाने न दे मौला -गज़ल

1
गर खुदा खुद से जुदाई दे
कोई क्यों अपना दिखाई दे

काश मिल जाये कोई अपना
रंजो-गम से जो रिहाई दे

जब न काम आई दुआ ही तो
कोई फिर क्योंकर दवाई दे

ख्वाब बेगाने न दे मौला
नींद तू बेशक पराई दे

तू न हातिम या फरिश्ता है
कोई क्यों तुझको भलाई दे

डूबने को हो सफीना जब
क्यों किनारा तब दिखाई दे

आँख को बीनाई दे ऐसी
हर तरफ बस तू दिखाई दे

साथ मेरे तू अकेला हो
अपनी ही बस आश्नाई दे


फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन


मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

Sunday, December 19, 2010

देख लो तुम मुझे सजा देकर- गज़ल

5 [म.ऋ]
आज कुछ कर गुजरने वाला हूँ
बन के खुशबू बिखरने वाला हूँ

तोड़ दो कसमें, दो भुला वादे
मैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ

टूटकर बिखरा हूं इस तरह यारो
अब कहाँ मैं संवरने वाला हूँ


जिन्दगी कर दे हसरतें पूरी
खुदकुशी अब मैं करने वाला हूँ

देख लो तुम मुझे सजा देकर
मै भला कब सुधरने वाला हूँ


फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन,फ़ेलुन



मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

Wednesday, December 1, 2010

गुल गुलामी करे है मौसम की- दो शे‘र

सुनते हैं दिल में प्यार रहता है
फ़िर भी दिल बेकरार रहता है
गुल गुलामी करे है मौसम की
मस्त हर वक्त खार रहता है

मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/