Tuesday, March 29, 2011

फुटकर शे‘र--श्याम सखा श्याम

 कोई अपना नहीं रहा
दुख: का दरिया नहीं रहा

थी तमन्ना जीऊं बहुत
अब इरादा नहीं रहा

देखकर उसको तो ‘सखा’
दिल ही अपना नहीं रहा





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Friday, March 25, 2011

कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो --gazal-

 16

हैं अभी आये अभी कैसे चले जाएँगे लोग
हमसे नादानों को क्या और कैसे समझाएँगे लोग

है नई आवाज धुन भी है नई तुम ही कहो
उन पुराने गीतों को फिर किसलिए गाएँगे लोग

नम तो होंगी आँखें मेरे दुश्मनों की भी जरूर
जग-दिखावे को ही मातम करने जब आएँगे लोग

फेंकते हैं आज पत्थर जिस पे इक दिन देखना
उसका बुत चौराहे पर खुद ही लगा जाएँगे लोग

हादसों को यूँ हवा देते ही रहना है बजा
देखकर धूआँ, बुझाने आग को आएँगे लोग

हमको कुछ कहना पड़ा है आज मजबूरी में यूँ
डर था मेरी चुप से भी तो और घबराएँगे लोग

इतनी पैनी बातें मत कह अपनी ग़ज़लों में ऐ दोस्त
हो के जख्मी देखना बल साँप-से खाएँगे लोग

कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
देखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग

है बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
पहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग


फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन



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Monday, March 21, 2011

क्या धरा है भला प्यार में तू बता------gazal-गज़ल

15

खामखा हो दुखी तुम यू जाने-मन
खार तो  देते ही हैं सभी को चुभन

क्या धरा है भला प्यार में तू बता
अश्क, कुछ, कुछ धुआं और थोड़ी जलन

मजिंलों की तरफ है सभी की नजर
देखता  कौन है रास्तों की थकन

बेइमानी, दगा और झूठी कसम
है जमाने का यारो यही तो चलन

बच के रहना जरा ‘श्याम’ से दोस्तो
छल न जाये तुम्हें सांवरा बांकपन


फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन



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Wednesday, March 16, 2011

कौन कहता है बुढापे में मुहब्ब्त का सिलसिला नहीं होता-----







देखूं जो तुमको भांग  पीके
अबीर गुलाल लगें सब फ़ीके














मोतियाबिन्दी नयनो  में काजल
्नित करता मुझको है पागल












अदन्त मुंह और हंसी तुम्हारी
इसमे दिखता ब्रह्माण्ड है प्यारी













तेरा मेरी प्यार है जारी
 जलती हमसे दुनिया सारी




क्या समझें ये दुध-मुहें बच्चे
कैसे होते प्रेमी सच्चे









दिखे न आंख को कान सुने ना
हाथ उठे ना पांव चले ना










पर मन तुझ तक दौड़ा जाए
ईलू-इलू का राग सुनाए




हंसते क्यों हैं पोता-पोती
क्या बुढापे में न मुहब्ब्त होती








सुनलो तुम भी मेरे प्यारे
कहते थे इक चच्चा हमारे













कौन कहता है बुढापे में मुहब्ब्त का सिलसिला नहीं होता
आम भी तब तक मीठा नहीं होता जब तक पिलपिला नहीं होता


होली में तो गजल-हज्ल सब चलती है
                                                      
जलने दो गर दुनिया जलती है
ही तो होली की मस्ती है 















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Saturday, March 12, 2011

उनकी बातें हुईं झिड़कियों की तरह------गज़ल

14

घूमना है बुरा तितलियों की तरह
घर भी बैठा करो लड़कियों की तरह

दिल में उतरी थी वो बिजलियों की तरह
जब गई तो गई,आँधियों की तरह

उनकी बातें हुईं झिड़कियों की तरह
जख्म मेरे खुले खिड़कियों की तरह


 





 

आ लिखें ,फ़िर से खत ,एक दूजे को हम
बालपन में लिखीं तख्तियों की तरह

देखकर,आपको धड़कने ,हैं हुई
कूदती,फाँदती हिरनियों की तरह

जल गये मेरे अरमां सभी के सभी
फूंक डाली गईं झुग्गियों की तरह

छोड़ कर चल दिये वो हमें दोस्तो
आम की चूस लीं गुठलियों की तरह

बात अपनी कहो कुछ मेरी भी सुनो
शोख चंचल खिली लड़कियों की तरह

जिन्दगी फिर रही है तड़पती हुई।
जाल में फँस गई मछलियों की तरह

प्यार करना ही है गर तुम्हें तो करो
मीरा, राधा या फिर गोपियों की तरह


काश हो जाते हम नामवर दोस्तो
मिट गई प्यार में हस्तियों की तरह

चाहते आप ही बस नहीं हैं हमें
घूमता है जहां फिरकियों की तरह

आज मायूस है क्यों वो, कल तक जो थी
खेलती कूदती हिरनियों की तरह

माफ कर दें इन्हें आप भी ‘श्याम’ जी
आपकी अपनी ही गलतियों की तरह


फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन




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Thursday, March 10, 2011

क्यों हैं करती,दुश्मनी खुद औरतों से औरतें---- gazal

 71/८९

औरत के बहुआयामी जीवन एवम्‌ व्यक्तित्व पर केन्द्रित एक गज़ल-
मेरा मानना है के स्त्री पृकृति की सबसे पूर्ण कृति है,पुरुष उसके सामने स्वय़ं को बौना पाता है,अधूरा महसूस करता है,
इसीलिये वह कभी एट्म बम,कभी चंद्र्यान ,कभी किले,महल तो कभी नये-नये धर्म ईजाद करता दिखता है,
जबकि स्त्री शिशु को जन्म देकर, उसका पालन-पोषण कर जीवन की पूर्णता, पाकर संतुष्ट् हो जाती है इसीलिए उसे कभी कोई धर्म ईजाद करने
की जरूरत महसूस नहीं हुई।
श्याम सखा ‘श्याम
1
काँच का बस एक घर है लड़कियों की जिन्दगी
और काँटों की डगर है लड़कियों की जिन्दगी
2
मायके से जब चले है सजके ये दुल्हिन बनी
दोस्त अनजाना सफर है लड़कियों की जिन्दगी
3
एक घर ससुराल    है तो दूसरा     है मायका
फिर भी रहती दर-ब-दर है लड़कियों की जिन्दगी
4
खूब देखा, खूब परखा, सास को आती न आँच,
स्टोव का फटना मगर है लड़कियों की जिन्दगी
5
पढलें लिखलें और करलें  नौकरी भी ये भले
सेज पर सजना मगर है लड़कियों की जिन्दगी
6
इस नई तकनीक ने तो है बना दी कोख भी
आह कब्रिस्तान भर है लड़कियों की जिन्दगी
7
कारखानों अस्पतालों या घरों में भी तो यह
रोज लड़ती इक समर है लड़कियों की जिन्दगी

8
लूटते इज्जत हैं इसकी मर्द ही जब, तब कहो
क्यों भला बनती खबर है लड़कियों की जिन्दगी
9
बाप मां के  बाद   अधिकार है भरतार का
फर्ज का संसार भर है लड़कियों की जिन्दगी
10
हो रहीं तबदीलियां दुनिया में अब तो हर जगह
वक्त की तलवार पर है लड़कियों की जिन्दगी
11
क्यों हैं करती दुश्मनी खुद औरतों से औरतें
बस दुखी यह जानकर है लड़कियों की जिन्दग+ी
12

13
किस धरम, किस जात में इन्साफ इसको है मिला
जीतती सब हार कर है लड़कियों की जिन्दगी
14
हो अहल्या या हो मीरा या हो बेशक जानकी
मात्र चलना आग पर है लड़कियों की जिन्दगी
15
द्रोपदी हो, पद्मिनी हो,  हो भले ही डायना
रोज लगती दाँव पर है लड़कियों की जिन्दगी
16
एक रजिया एक लक्ष्मी और इन्दिरा जी भला
क्या नहीं अपवाद-भर है लड़कियों की जिन्दगी
17
क्या जवानी क्या बुढ़ापा या भले हो बचपना
सहती हर दम बद नजर है लड़कियों की जिन्दगी
18
हों घरों में, आफिसों में, हों सियासत में भले
क्या कहीं भी मोतबर है लड़कियों की जिन्दगी
19
औरतों के हक में हों कानून कितने ही बने
दर हकीकत बेअसर है लड़कियों की जिन्दगी
20
तू अगर इसको कभी अपने बराबर मान ले
फिर तो तेरी हमसपफर है लड़कियों की जिन्दगी
21
घर भी तो इनके बिना बनता नहीं घर दोस्तो
क्यों भला फ़िर घाट पर है लड़कियों की जिन्दगी
22
आह धन की लालसा का आज ये अंजाम है
इश्तिहारों पर मुखर है लड़कियों की जिन्दगी
23
क्यों हैं करती,दुश्मनी खुद औरतों से औरतें
बस दुखी यह जानकर है लड़कियों की जिन्दगी
23/a
कर नुमाइश जिस्म की क्या खुद नहीं अब आ खड़ी
नग्नता के द्वार पर है लड़कियों की जिन्दगी
24
प्यार करने की खता करलें जो कहीं  ये कभी
तब लटकती डाल पर है लड़कियों की जिन्दगी
25
जानती सब, बूझती सब, फिर भला क्यों बन रही
हुस्न की किरदार भर है लड़कियों की जिन्दगी
26
ठीक है आजाद होना, हो मगर उद्दण्ड तो
कब भला पायी सँवर है लड़कियों की जिन्दगी
27
माँ बहन बेटी कभी पत्नी कभी,कभी है प्रेयसी
जानती क्या-क्या हुनर है लड़कियों की जिन्दगी

28
मुम्बई हो,    कोलकाता,    राजधानी देहली
चल रही दिल थामकर है लड़कियों की जिन्दगी
29
ले रही वेतन बराबर,हक बराबर, पर नहीं
इतनी सी तकरार भर है लड़कियों की जिन्दगी
30
आदमी कब मानता इन्सान इसको है भला
काम की सौगात भर है लड़कियों की जिन्दगी
31
शोर करते हैं सभी तादाद इनकी घट रही
बन गई अनुपात भर है लड़कियों की जिन्दगी

32

ठान लें जो कर गुजरने की कहीं ये आज भी
पिफर तो मेधा पाटकर है लड़कियों की जिन्दगी
33
क्यों नहीं तैतीसवां हिस्सा भी इसको दे रहे,
आधे की हकदार गर है लड़कियों की जिन्दगी
34
देवता बसते वहाँ है पूजते नारी जहाँ
क्यों धरा पर भार भर है लड़कियों की जिन्दगी
35
हाँ, कहीं इनको मिले गर प्यार थोड़ा दोस्तो
तब सुधा की इक लहर है लड़कियों की जिन्दगी
36
मैंने तुमने और सबने कह दिया सुन भी लिया
क्यों न फिर जाती सुधर है लड़कियों की जिन्दगी
37
माफ मुझको अब तू कर दें ऐ खुदा मालिक मेरे
हाँ यही किस्मत अगर है लड़कियों की जिन्दगी
38
‘कल्पना’ को ‘श्याम’ जब अवसर दिया इतिहास ने
उड़ चली आकाश पर है लड़कियों की जिेन्दगी


फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइ्लुन

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Monday, March 7, 2011

मौत से क्यों है डरे ’इतना जमाना-----गज़ल


बात इक मुझको बहुत भाती है यारब
याद उसको भी मेरी आती है   यारब

मोड़ बाकी हैं कई मंजिल तलक तो
ये हवा यूँ मुझको समझाती है यारब

मौजों से रंजिश, किनारों से अदावत
देखें कश्ती ले कहाँ जाती है यारब

पात झड़ने पर है क्यों मायूस गुलशन
रुत यही लेकर बहार आती है यारब

कैसे मसले जग के सुलझाएगा वो शख्स
रूह जिसकी जबकि जज्बाती है यारब

बैठे है हम तो दिये दिल के जलाकर
आंधी क्यों डर हमको दिखलाती है यारब

हैं गुजरते लम्हे जब सदियों की मानिन्द
तब कहीं शब वस्ल की आती है यारब

मौत से क्यों है डरे इतना जमाना
मौत के ही बाद जीस्त आती है यारब

फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,





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Tuesday, March 1, 2011

दिल बहलाने की इक तदबीर खरीदोगे---गज़ल

12
बेच रहा हूँ बिगड़ी-सी तकदीर खरीदोगे
है दिल बहलाने की इक तदबीर खरीदोगे

खौफ़े- जख्म जिसे  हो, घर अपने वो बैठ रहे 
बिखरी हैं बाजारों में  शमसीर खरीदोगे

बहुत सँभल के झांकें इस आईने में हमदम
दिखला देता है  सबको तस्वीर खरीदोगे   

 
आजादी के परचम तो नीलाम हुए सारे
शेष बची है जंग लगी जंजीर खरीदोगे


साथ समय के महल* किले* बारादरियां उजड़ीं ?
गम की इमारत* करता हूँ तामीर खरीदोगे *









 





गिरवी आज महाजन  घर है रौनक मौसम का
सस्ती बिकती खिलवत की जागीर खरीदोगे।।

‘श्याम’कहां अब हाथ तुम्हारे है आनेवाला।
बस है बाकी उसकी इक तहरीर खरीदोगे।।



 फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन.फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ा
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