तू आर हो जा या पार हो जा
पर इक तरफ मेरे यार हो जा
या तो सिमट कर रह मेरे दिल में
या फैल इतना, संसार हो जा
जो जुल्म बढ़ जाये हद से ज्यादा
तजकर अहिंसा हथियार हो जा
गुल था शरारत करने लगा जब
तितली ने कोसा जा खार हो जा
सूखा है मौसम, सूखी हूँ मै भी
अब प्यार की तू रसधार हो जा
गर थी तुझे धन की कामना तो
किसने कहा था फनकार हो जा
राधा भी तेरी, मीरा भी तेरी
तू ‘श्याम’ मेरा इस बार हो जा
मुस्तफ़इलुन,फा ,मु्स्तफ़इलुन फा
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