Sunday, October 23, 2011

धुआँ देखा है लेकिन तुमने चिंगारी नहीं देखी--gazal shyam skha shyam











35न.ह

धुआँ देखा है लेकिन तुमने चिंगारी नहीं देखी
कि चिलमन में छुपी उसकी वो बेजारी नहीं देखी

बना है आशियां तो आपका ये खूबसूरत ही
चुकाई किसने कीमत कितनी है भारी नहीं देखी

चलो माना कि तुम भी देख लेते हो कई बातें
फ़कत कुछ उलझनें देखीं हैं पर सारी नहीं देखी-


बहुत है जिक्र महफ़िल में मेरा, मेरी ही जफ़ाओं का
मगर मुझ में बसी है झील जो खारी नहीं देखी

नहीं है ‘श्याम’ भी पागल कहीं कुछ कम मेरे यारो
हैं ढूंढीं औरों की कमियां,समझदारी नहीं देखी




मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन









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Sunday, October 9, 2011

कौन पूछे है, लियाकत को यहाँ पर- gazal shyamskha `shyam'


दूसरों के सर बचाने हैं तुझे तो
फिर तो तू अपनी ही जानिब मोड़ पत्थर

कौन पूछे है, लियाकत को यहाँ पर
पेट भरना है तुझे तो तोड़ पत्थर

देखकर हालत बुतों की, हैं लगाते
टूटने की आइने से होड़ पत्थर

चिड़िया मारीं जब अहेरी हाथ में था
तू हुआ इतिहास में चितौड़ पत्थर 

है खड़ा चौराहे पर बेटा खुदा का
कायरों में तू भी है, चल छोड़ पत्थर

बीच इन्सानों के कैसे फँस गया है
दौड़ सकता है ,अगर तो,दौड़ पत्थर

’श्याम जी’ सचमुच बुरा वक्त आने को है
छत पे अपनी आप भी लें जोड़ पत्थर

फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन


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Wednesday, October 5, 2011

टँगे ख्वाब मेरे सलीबों पे हैं अब- gazal shyam skha shyam

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कहो मत फलक पर सितारे नहीं हैं
ये माना कि अब वो हमारे नहीं हैं

है ये छाँव छूती मेरी छत भला क्यों
कि जब पेड़ ये अब हमारे नहीं हैं

टँगे ख्वाब मेरे सलीबों पे हैं अब
यों मरियम से वो तो कुँवारे नहीं हैं

बता मुझको क्यों उठ चली ऐ हवा तू
अभी साज से सुर उतारे नहीं हैं

चलो बैठकर कर लें कुछ बातें हम-तुम
कि बेकारी में, पल उधारे नहीं हैं।

छुएँ आसमां ‘श्याम’ है उनकी हसरत
न जिनके है घर ही, चुबारे नहीं हैं

गया गुम हो बचपन कहाँ ‘श्याम’ कहिये
शरारत नहीं है गुबारे नहीं है।


फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,फ़ऊलुन
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