Wednesday, April 18, 2012

जीस्त जब भी सवाल करती है---gazal dr shyam skha shyam



जीस्त जब भी सवाल करती है 

मेरा जीना  मुहाल करती  है

मौत भी तो कमाल करती है 

साँसों कि देखभाल करती है

रूठकर मुझसे मेरी जानेमन
मेरी ज्यादा सँभाल करती है  


चाँद की बेवफाई पर उजाला 
जुगनुओं की मशाल करती है

जागती रातभर है बैरन रात 
नींद बैठी मलाल करती है 

याद आती 'श्याम' जब तेरी 
मेरी धड़कन धमाल करती है



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Saturday, April 7, 2012

हमने माना‘श्याम’फक्कड़’और है कुछ बदजुबाँ-gazal shyam skha shyam


60-a
जिन्दगी को जब कभी सिक्कों से है आँका गया
यूँ लगा दोष  आपका था और मुझे डाँटा गया

जब किसी कारण से भी घर था कभी बाँटा गया
दुख  हमेशा  क्यों मेरे  ही वास्ते  छांटा गया

शख्स जब  कोई  गिरा अपने उसूलों से कभी
समझो  चाँदी  की छड़ी  से है   हाँका  गया

मुझमें  और सुकरात में बस फ़र्क इतना ही रहा
पी गया वो जह् पर मुझसे विष फाँका गया

था गुजरता जब कभी उस शोख के कूचे से मैं
शोर मच जाता थादेखो वह गया, बाँका गया

हमने मानाश्यामफक्कड़और है कुछ बदजुबाँ
पर खरा उतरा है जब परखा गया,जाँचा गया

फाइलातुन,फाइलातुन,फाइलातुन,फ़ाइलुन


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