tag:blogger.com,1999:blog-3794734343980102357.post3944043156805283473..comments2023-10-18T17:37:17.808+05:30Comments on ग़ज़ल के बहाने-gazal k bahane: मिले प्यार में मुझको मौसम सभी थे-gazal shyam skhagazalkbahanehttp://www.blogger.com/profile/13644251020362839761noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-3794734343980102357.post-25449074167189228862012-12-02T23:02:58.740+05:302012-12-02T23:02:58.740+05:30यह शेर बहुत पसंद आया -
"न सुनना ही आया न कहन...यह शेर बहुत पसंद आया -<br /><br />"न सुनना ही आया न कहना ही आया<br />मुझे दिल मिला था जुबां भी मिली थी"<br />sushilahttps://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794734343980102357.post-90546157694853944752012-05-29T10:09:46.974+05:302012-05-29T10:09:46.974+05:30आप सभी सुधी बन्धुओं का आभार रदीफ़ काफ़िये वाकई गड़्बड़...आप सभी सुधी बन्धुओं का आभार रदीफ़ काफ़िये वाकई गड़्बड़ हैं बह्त दिनों से केवल बड़ाई सुन कर बदहजमी मिटाने के लिये तथा आप सभी के सहयोग से इसके रदीफ़ काफ़िये बिठाने की तमन्न से पोस्ट की यह कच्ची रचना। अब सभी भी मिली थी -रदीफ़के साथ जुबां मेहरबां आदि काफ़िये से संवारने में मदद करें इसे- कई दिन से तंग कर ही है और वक्त मिल नहीं रहा<br />नीरज भाई अबके आप के यहां आके आपकी ही जितनी चाहेंगे सुनूंगा- वैसे देवी जी ने ही प्रोग्राम बिगाड़ा- श्री मह्रिष के यहां था पहले यह प्रोग्राम-जहां उन्होने कहा था कि २-३ लोग पढेंगे शेष ३०-४० मिन्ट मुझे पढ़्ना होगा रूबरू जैसा.<br />देवी जी ने तो अपने संकल्न की सभी बुला लीं और वे पढ़ पढ कर सरक रहीं थी इस्लिये हरियाणवी स्टाइल अपनाना पड़ा।<br />श्री लक्षम्ण दुबे के यहां मैने व विज्ञा्न व्र्त ने ही पढ़ा थाgazalkbahanehttps://www.blogger.com/profile/13644251020362839761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794734343980102357.post-45371663502590454112012-05-29T10:06:48.374+05:302012-05-29T10:06:48.374+05:30This comment has been removed by the author.gazalkbahanehttps://www.blogger.com/profile/13644251020362839761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794734343980102357.post-8435538246870574712012-05-28T21:49:39.572+05:302012-05-28T21:49:39.572+05:30बहुत बढिया गजल।बधाई।बहुत बढिया गजल।बधाई।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794734343980102357.post-91206718051725763352012-05-28T18:08:49.283+05:302012-05-28T18:08:49.283+05:30कुछ गड़बड़ है इस बार। रदीफ़ और काफि़या स्पष्ट नह...कुछ गड़बड़ है इस बार। रदीफ़ और काफि़या स्पष्ट नहीं हो रहा है।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794734343980102357.post-55897651545198860192012-05-28T17:43:12.232+05:302012-05-28T17:43:12.232+05:30उम्दा शेर... बहुत अच्छी ग़ज़ल...बहुत बहुत बधाई...उम्दा शेर... बहुत अच्छी ग़ज़ल...बहुत बहुत बधाई...प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794734343980102357.post-23054237084161093072012-05-28T17:39:13.395+05:302012-05-28T17:39:13.395+05:30न सुनना ही आया न कहना ही आया
मुझे दिल मिला था जुबा...न सुनना ही आया न कहना ही आया<br />मुझे दिल मिला था जुबां भी मिली थी<br /><br />भाई वाह..क्या शेर कहा है...सुभान अल्लाह...बहुत कमाल की ग़ज़ल कही है...दाद कबूल करें... <br /> <br />भाई जी मुंबई में देवी जी के यहाँ तो आप बिना हमारी ग़ज़ल सुने पतली गली से निकल लिए थे अब ये बताएं के दुबारा हमारी ग़ज़लें सुनने कब आ रहे हैं...भाई शायरों के साथ येही समस्या है एक सुनेगे तो दस सुनायेंगे आपने तो पूरी बीस सुनाई थी इस हिसाब से तैयार होके मुंबई आना...:-))नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com