है जान तो जहान है
फ़िर काहे का गुमान है
क्या कर्बला के बाद भी
एक और इम्तिहान है
इतरा रहे हैं आप यूं
क्या वक्त मेहरबान है
हैं लूट राहबर रहे
जनता क्यों बेजुबान है
है ‘श्याम ’बेवफ़ा नहीं
हाँ इतना इत्मिनान है
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