35न.ह
धुआँ देखा है लेकिन तुमने चिंगारी नहीं देखी
कि चिलमन में छुपी उसकी वो बेजारी नहीं देखी
बना है आशियां तो आपका ये खूबसूरत ही
चुकाई किसने कीमत कितनी है भारी नहीं देखी
चलो माना कि तुम भी देख लेते हो कई बातें
फ़कत कुछ उलझनें देखीं हैं पर सारी नहीं देखी-
बहुत है जिक्र महफ़िल में मेरा, मेरी ही जफ़ाओं का
मगर मुझ में बसी है झील जो खारी नहीं देखी
नहीं है ‘श्याम’ भी पागल कहीं कुछ कम मेरे यारो
हैं ढूंढीं औरों की कमियां,समझदारी नहीं देखी
मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन
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