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भीड़ का मेला अकेला आदमी हर दोस्तो
कोई पागल ही बनाएगा यहाँ घर दोस्तो
चिमनियों का हर तरफ फ़ैला धुआं है देखिये
कौन इशारे मौसमी समझे यहाँ पर दोस्तो
पंछियों को था बिजूकों से डराता आदमी
खुद से ही अब तो उसे लगने लगा डर दोस्तो
ईंट पर बुनियाद की हम शे‘र अब कैसे कहें
जब फ़्लैट अपना है मंजिल सातवीं पर दोस्तो
‘श्याम’से जब भी हो मिलना आपको ऐ‘श्याम’जी
कीजिये बातें हवा से खोलकर पर दोस्तो
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन
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