Monday, February 25, 2013

यही तेरी कहानी है यही मेरी कहानी है-gazal by Dr shyamskha shyam



my 1st day at Houstan texas-will be here till 18th march
कभी पत्थर कभी कांटे कभी ये रातरानी है

यही तो जिन्दगानी है,यही तो जिन्दगानी है


जमीं जबसे बनी यारो तभी से है वजूद इसका

नये अन्दाज दिखलाती मुहब्बत की कहानी है


खुशी से रह रहे थे हम मिले तुझसे नहीं जब तक

तुझे मिलकर हुआ ये दिल गमों की राजधानी है 


मुझे लूटा है अपनो ने तुझे भी खा गये अपने

यही तेरी कहानी है यही मेरी कहानी है


रही है दूर ये दिल्ली,रहेगी दूर ये दिल्ली

रखैली थी रखैली है ये दिल्ली राजधानी है


रहे डरते `सखा' ताउम्र कुछ करने से पहले हम

हुये है मस्त कितने जब से छोड़ी सावधानी है

mfaelun,mfaelun,mfaelun,mfaelun





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Monday, February 4, 2013

घर से बाहर हूं घर मेरे भीतर है- gazal Dr shyam skha shyam

घर  से   बाहर  हूं  घर   मेरे   भीतर है
बात यही मुझको देती दुख अक्सर है

औढ़  आकाश  सदा सोये हम बंजारे
रात हुए धरती बन जाती बिस्तर है


बादल बिजुरी जब भी  हैं करते मस्ती
घबराता रहता बेचारा छप्पर है

रात मजे में सोती रहती है शब भर
दिन बेचारा खटता रहता दिन भर है

नेह उडेला है सदियों से नदियों ने
फिर भी क्यों खारा का खारा सागर है

खुशियां तो कब की भाग गईं पीठ दिखा
गम बैठा दिल में बनकर दिलबर है




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