Monday, June 1, 2009
इम्तिहां-सी जिन्दगी
भीड़ में रह कर भी है खाली मकां-सी जिन्दगी
दोस्तो हमको लगी है इम्तिहां-सी जिन्दगी
लाश की मानिन्द ढोती तू रही अक्सर मुझे
झाड़ कर पल्ला है क्यां हैरतकुनां-सी जिन्दगी
क्यों भटकती फिर रही है जा-ब-जा कुछ तो बता
करके घर तामीर भी है तू दुकां-सी जिन्दगी
गिर गये हैं जब से हम तेरी निगाहों से सनम
है लगे हमको तो अपनी बदगुमां-सी जिन्दगी
गुफ्तगू जब से हुई है खत्म अपनी, आपसे
रह गई है बन के गूंगे का बयां-सी जिन्दगी
गाँव से आई थी, तोहफा सादगी का तब थी तू
शहर आकर हो गई तू हुक्मरां-सी जिन्दगी
थी तमन्ना ‘श्याम’ की बन शमअ-सा जलता रहे
उम्र गीली हो गई अपनी धुआं-सी जिन्दगी
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन
7-b
Labels:
gazal
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rah gayi hai ban k goonge ka bayan si zindgi...
ReplyDeletewaah! waah!
kya baat hai...
har she'r umda aur vazandar
BADHAI!
सब से पहले तो आपको अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता मे पुरस्कार के लिये बहुत बहुत बधाई मैने साहित्य अमृ्त पत्रिका मे पढा था1अपकी रचनाओं पर मेरा कहना सूरज को दीपक दिखाने जेस होगा अद्भुत लाजवाब अभार और शुभकामनाये़
ReplyDeleteगुफ्तगू जब से हुई है खत्म अपनी, आपसे
ReplyDeleteरह गई है बन के गूंगे का बयां-सी जिन्दगी
waah!waah! bahut hi umda!
aap ki gazal ka har sher hi vazan liye hai!
गुफ्तगू जब से हुई है खत्म अपनी, आपसे
ReplyDeleteरह गई है बन के गूंगे का बयां-सी जिन्दगी
वाह श्याम जी वाह...आपका शेर कहने का अंदाज़ सबसे निराला है...सीधे दिल में उतरने वाले अशार आप जिस आसानी से कह देते हैं हैरत होती है...लिखते रहिये...
नीरज
गिर गये हैं जब से हम तेरी निगाहों से सनम
ReplyDeleteहै लगे हमको तो अपनी बदगुमां-सी जिन्दगी
बहुत उम्दा .
डॉ. श्याम सखा श्यामजी, आप तो कैमरे और कलम- दोनों के धनी है तो चित्र और कविता- दोनों ही बढिया होंगे ही! बधाई।
ReplyDeleteगिर गये हैं जब से हम तेरी निगाहों से सनम
ReplyDeleteहै लगे हमको तो अपनी बदगुमां-सी जिन्दगी
श्याम जी आपका अंदाज जुदा है सबसे.............लाजवाब है हर शेर...........
ख़ूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeletewah! aapki rachaney bhi badiya hain aur apka andaaz bhi ..... pasand aaya humko
ReplyDelete"गाँव से आई थी, तोहफा सादगी का तब थी तू
ReplyDeleteशहर आकर हो गई तू हुक्मरां-सी जिन्दगी"
बहुत ही सुंदर सर....लाजवाब।
और आपका ढ़ेरों शुक्रिया श्याम साब, किताबें पहुँच गयीं।