तुझसे मिलकर सुर्खरू होता हूं मैं
तेरे जैसा हू-ब-हू होता हूं मैं
जब भी खुदसे रूबरू होता हूं मैं
सच कहूं बेआबरू होता हूं मैं
मुहं हरीफ़ों के हैं खुलते इस कदर
जब भी वजहे गुफ़्तगू होता हूं मैं
तुझमें मुझमें फ़र्क ही अब क्या रहा
बेखुदी में तू ही तू होता हूं मैं
आपके आगे है मेरी क्या बिसात
नज्म क्या बस हाइकू होता हूं मैं
आपके चहरे पे तल्खी देखकर
दिल से अपने आक- थू होता हूँ मैं
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
तेरे जैसा हू-ब-हू होता हूं मैं
जब भी खुदसे रूबरू होता हूं मैं
सच कहूं बेआबरू होता हूं मैं
मुहं हरीफ़ों के हैं खुलते इस कदर
जब भी वजहे गुफ़्तगू होता हूं मैं
तुझमें मुझमें फ़र्क ही अब क्या रहा
बेखुदी में तू ही तू होता हूं मैं
आपके आगे है मेरी क्या बिसात
नज्म क्या बस हाइकू होता हूं मैं
आपके चहरे पे तल्खी देखकर
दिल से अपने आक- थू होता हूँ मैं
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