जब हुनर उसको खुदा ने ये सिखाया होगा
एक कतरे में समन्दर जा समाया होगा
दिल मेरा उसने कभी जो यूं दुखाया होगा
उसको भी यार नहीं चैन तो आया होगा
उसको मालूम था जब इसका उजागर होना
प्यार क्यों उसने जमाने से छुपाया होगा
आज मौजूद नहीं था वो हसीं तो यारो
रंग महफिल में भला किसने जमाया होगा
आज मौजूद नहीं था वो हसीं तो यारो
रंग महफिल में भला किसने जमाया होगा
बन के धड़कन जो धड़कता था रहा दिल में“श्याम‘
क्या खबर थी कि वो इक रोज पराया होगा
फ़ाइलातुन,फ़ इ लातुन,फ़ इ लातुन,फ़ेलुन
यहां कोहरे पर दो नवगीत देखें
http://katha-kavita.blogspot.com/
उसको मालूम था जब इसका उजागर होना
ReplyDeleteप्यार क्यों उसने जमाने से छुपाया होगा
बहुत खूब!
जब हुनर उसको खुदा ने ये सिखाया होगा
ReplyDeleteएक कतरे में समन्दर जा समाया होगा
बहुत खूब..
उसको मालूम था जब इसका उजागर होना
ReplyDeleteप्यार क्यों उसने जमाने से छुपाया होगा
sabhi behatareen.
जब हुनर उसको खुदा ने ये सिखाया होगा
ReplyDeleteएक कतरे में समन्दर जा समाया होगा
वाह लाजवाब शुभकामनायें
bahut he badhiya shyam ji..
ReplyDeletemeri 50th post par aapka swagat hai..
http://shayarichawla.blogspot.com/
इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिली दाद कबूल करें...
ReplyDeleteनीरज
अंदाज बढ़िया लगा.
ReplyDeleteदिल मेरा उसने कभी जो यूं दुखाया होगा
ReplyDeleteउसको भी यार नहीं चैन तो आया होगा
वाह, दिल का वार कभी खाली नहीं जाता।
बेहतरीन।
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा.... ये फिल्मी गजल तो अप्रतिम है।
ReplyDeleteआज मौजूद नहीं था वो हसीं तो यारो
ReplyDeleteरंग महफिल में भला किसने जमाया होगा
श्याम भाई...जिंदाबाद....बहुत खूब ग़ज़ल कही है...उस्तादाना अंदाज़ में...वाह...
नीरज
बेहद खूबसूरत लगी आपकी ये रचना ।
ReplyDelete...लाजबाव...बेहतरीन.... बधाई!!!!
ReplyDeleteग़ज़ल अच्छी बनी है सर, किंतु मतला तनिक स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
ReplyDeleteकठिन बहर का खूब निर्वहन किया आपने
ReplyDeleteपहले मैने समझा कि गजल २१२२ * ४ पर है मगर जल्द ही समझ गया मै गलत हू गौतम जी का कहना सही लगा मतला मे आप क्या कहना चाह रहे है मै भी नही समझ पाया
बाकी के शेर बहुत पसन्द आये
वीनस केशरी
आप सभी का आभार
ReplyDeleteजब किसी शायर को अपने शे‘र का मतलब समझाना पड़े तो शायर सही शे‘र कहने में असफ़ल रहा है इस मायने[मतले के] में, मै खुद को असफ़ल ही मानूंगा वैसे मै कहना यह चाहता था
बन के धड़कन जो धड़कता था रहा दिल में“श्याम‘
क्या खबर थी कि अपना ही एक रोज पराया होगा ...
ReplyDeleteहोके मजबूर ही उसने भी भुलाया होगा .....
badhiya gajal..
ReplyDeleteआज मौजूद नहीं था वो हसीं तो यारो
ReplyDeleteरंग महफिल में भला किसने जमाया होगा..
वाह बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ! इस लाजवाब और उम्दा रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!
जब हुनर उसको खुदा ने ये सिखाया होगा
ReplyDeleteएक कतरे में समन्दर जा समाया होगा
EXCELLENT ONE.
SPELL BOUND