
तसुव्वरात में लाऊँ तेरा सलोना बदन
भला मै कैसे भुलाऊँ तेरा सलोना बदन
मगन यूँ होके तुझे मैं निहारूँ, मेरे बलम
पलक-झपक मैं छुपाऊँ तेरा सलोना बदन
नयन तेरे हैं ये मस्ती के प्याले मेरी प्रिया
मैं दिल में अपने बसाऊँ तेरा सलोना बदन
ढलकती-सी तेरी पलकें, ये बांकपन तेरा
नजर से जग की बचाऊँ तेरा सलोना बदन
किताब है ये ग़ज़ल की, कि है ये राग यमन
किसी को मै न सुनाऊँ तेरा सलोना बदन
बड़े कुटिल हैं इरादे जनाब ‘श्याम’ के तो
भला मैं कैसे बचाऊँ तेरा सलोना बदन
मफ़ाइलुन. फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन
मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/
बहुत सुन्दर गज़ल है बधाई
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteवाह !
बदन सलोना हो न हो,
आपकी ग़ज़ल बड़ी सलोनी है..........
अभिनन्दन !
सलोने बदन और राग यमन का अच्छा गठबंधन :)
ReplyDeleteकिताब है ये ग़ज़ल की, कि है ये राग यमन
ReplyDeleteकिसी को मै न सुनाऊँ तेरा सलोना बदन ...
BAHUT SUNDAR GAZAL HAI .... SHRANGAAR SE BHARPOOR .. AUR YE SHER SABSE KAMAAL KA HAI ...
किताब है ये ग़ज़ल की, कि है ये राग यमन
ReplyDeleteकिसी को मै न सुनाऊँ तेरा सलोना बदन
Naye Sher khoob bhale lage. Thankyou Sir!
किताब है ये ग़ज़ल की, कि है ये राग यमन
ReplyDeleteकिसी को मै न सुनाऊँ तेरा सलोना बदन
क्या बात है श्याम जी बहुत खूब...वाह
नीरज
बढ़िया ग़ज़ल.. सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार श्याम जी
ReplyDeleteसलोनी सी वाह वाह आप की इस सुंदर सलोनी गजल के लिये.धन्यवाद
ReplyDeletebahut mushkil bah'r pe ustadana kalaam aasaani se .... badhaayee shyaam ji ....
ReplyDeletearsh
wah kya baat hai shyaam ji, salona badan, behatareen.
ReplyDeletepasand aayi aapki ghajal...
ReplyDeleteवाह वाह क्या बात है! बहुत ही सुंदर ग़ज़ल है! इस बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!
ReplyDeleteसुन्दर राग यमन है ये तेरी गज़ल,
ReplyDeleteसलोनी है श्याम ये तेरी गज़ल ।
bahut KHoob.
ReplyDeleteगज़ल तो बेहतर है, लेकिन आपके इरादे नेक नहीं लगते.
ReplyDeleteकिताब है ये ग़ज़ल की, कि है ये राग यमन
ReplyDeleteकिसी को मै न सुनाऊँ तेरा सलोना बदन
-बहुत उम्दा कहा, सर जी!! बेहतरीन!!
आप सभी का हृदय से आभार
ReplyDeleteभाई गोविन्द गुलशन एक सिद्ध हस्त गज़लगो हैं उन्होने मतले में एक सुझाव दिया है जो सटीक है इस लिये मूल गज़ल में वह आ गया है
पहले
तसुव्वरात में लाऊँ तेरा सलोना बदन
कहो मै कैसे भुलाऊँ तेरा सलोना बदन
अब
तसुव्वरात में लाऊँ तेरा सलोना बदन
बता मै कैसे भुलाऊँ तेरा सलोना बदन
कहो के साथ तेरा अटपटा हो जाता है तुम्हारा आना चाहिये ऐसा कहना है गुलशन जी का,मुझे भी जायज लगा
इस बात पर या मेरी किसी भी गज़ल के किसी भी शे‘र पर आप सभी के सुझावों का स्वागत है
सखा जी आप की गज़लें पढ़कर बहुत अच्छा लगा. आप को पढ़कर आपको सुनने का मन करता है.
ReplyDeletewaah.....kya khoob kahi hai aapne...
ReplyDelete