यूं भला कब तक मेरा इम्तिहान लोगे तुम
इस तरह तो एक दिन मेरी जान लोगे तुम
है खड़ी इक फ़स्ल गम की दिल में मेरे
दर्द की इस फ़स्ल का भी लगान लोगे तुम
एक पैसा दे के मैने दुआ थी चाही जब
कह उठा तब था फकीर आसमान लोगे तुम ?
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन,फ़ेलुन
मेरा एक और ब्लॉग
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एक पैसा दे के मैने दुआ थी चाही जब
ReplyDeleteकह उठा तब था फकीर आसमान लोगे तुम ?
लाजवाब शेर हैं बधाई
यूं भला कब तक मेरा इम्तिहान लोगे तुम
ReplyDeleteइस तरह तो एक दिन मेरी जान लोगे तुम
बेबाकी तथा साफगोई का बयान ...
है खड़ी इक फ़स्ल गम की दिल में मेरे
ReplyDeleteदर्द की इस फ़स्ल का भी लगान लोगे तुम
बहुत सुन्दर शेर ।
बहुत सुंदर जी हमेशा की तरह.धन्यवाद
ReplyDeleteतल्ख़ शेर है.. सपाट बयानी है... आनद आया.
ReplyDeleteहै खड़ी इक फ़स्ल गम की दिल में मेरे
ReplyDeleteदर्द की इस फ़स्ल का भी लगान लोगे तुम...
बेहतरीन ,आनंद आ गया.
बहुत ही सुन्दर और मनोहारी रचना...
ReplyDeletewow shyam ji
ReplyDeleteaakhir ke 2 sher to sach me zindagi ki reality bayaan karte hain........
Loved them...........really these lines can be written by only a mature poet like you......
warna ham to soch bhi nahi sakte.......aisa likhne ki.........
bahut khoob
ReplyDeleteएक पैसा दे के मैने दुआ थी चाही जब
ReplyDeleteकह उठा तब था फकीर आसमान लोगे तुम ?
-वाह जी वाह!! क्या बात कही है साहेब!!
जब बात अपनी ही सी लगे , तो सचमुच वो बेहतर बयान होती है |
ReplyDeleteहै खड़ी इक फ़स्ल गम की दिल में मेरे
ReplyDeleteदर्द की इस फ़स्ल का भी लगान लोगे तुम
वाह...वाह
लाजवाब शेर हैं
बधाई
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'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता'
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क्रियेटिव मंच
wahh kya baat hai shyam ji..
ReplyDeletedil ko chhoo lene wali rachna...
WAH KYA BATA HAI ZANAAB..
ReplyDeleteप्यारे भावों वाले शेर हैं।
ReplyDeleteएक पैसा दे के मैने दुआ थी चाही जब
ReplyDeleteकह उठा तब था फकीर आसमान लोगे तुम ?...
क्या बात है सर ......... मज़ा आ गया ... बहुत ही कमाल के शेर हैं ......
है खड़ी इक फ़स्ल गम की दिल में मेरे
ReplyDeleteदर्द की इस फ़स्ल का भी लगान लोगे तुम
Waah ! Waah ! Waah ! Lajawaab...bahut bahut lajawaab !!!
Kamaal ke sher hain...pooree gazal hi lajawaab hai....aanand aa gaya padhkar...
है खड़ी इक फ़स्ल गम की दिल में मेरे
ReplyDeleteदर्द की इस फ़स्ल का भी लगान लोगे तुम...
कमाल के शेर !!!
सभी अश’आर काबिले तारीफ़ है
ReplyDeleteएक पैसा दे के मैने दुआ थी चाही जब
कह उठा तब था फकीर आसमान लोगे तुम ?
वाह!
सादर
है खड़ी इक फ़स्ल गम की दिल में मेरे
ReplyDeleteदर्द की इस फ़स्ल का भी लगान लोगे तुम
बहुत खूब...
तीनों शेर लाजवाब हैं...एक से बढ़ कर एक...हमेशा की तरह...!!
लाजवाब शे'र हैं...
ReplyDelete... बेहतरीन शेर,बधाई !!!!!
ReplyDeleteएक पैसा दे के मैने दुआ थी चाही जब
ReplyDeleteकह उठा तब था फकीर आसमान लोगे तुम ?
lajawab , behtareen, I am stunned.... very nice...