12 न.ह
वो जो उलझे हैं सुलझ भी जाऍँगे
बीते पल लेकिन न फिर आ पाएँगे
सर उठाकर जो नहीं चल पाएँगे ,
लोग वो सिक्कों मे ही ढ़ल जाएँगे
वे हमें ,हम भी उन्हें समझाएँगे
गर न समझे वो, समझ हम जाएँगे
अपना दामन साफ रखने के लिये
दाग़ दिल पर हाँ सभी तो खाएँगे
है बदलना,वक्त जिनको ‘श्याम’ जी
सामने आकर वही सर कटवाएँगे
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
वो जो उलझे हैं सुलझ भी जाऍँगे
बीते पल लेकिन न फिर आ पाएँगे
सर उठाकर जो नहीं चल पाएँगे ,
लोग वो सिक्कों मे ही ढ़ल जाएँगे
वे हमें ,हम भी उन्हें समझाएँगे
गर न समझे वो, समझ हम जाएँगे
अपना दामन साफ रखने के लिये
दाग़ दिल पर हाँ सभी तो खाएँगे
है बदलना,वक्त जिनको ‘श्याम’ जी
सामने आकर वही सर कटवाएँगे
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन
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