Tuesday, October 27, 2009
पहले देंगे जख्म और फिर--- गज़ल
हैं अभी आये अभी कैसे चले जाएँगे लोग
हमसे नादानों को क्या और कैसे समझाएँगे लोग
है नई आवाज धुन भी है नई तुम ही कहो
उन पुराने गीतों को फिर किसलिए गाएँगे लोग
नम तो होंगी आँखें मेरे दुश्मनों की भी जरूर
जग-दिखावे को ही मातम करने जब आएँगे लोग
फेंकते हैं आज पत्थर जिस पे इक दिन देखना
उसका बुत चौराहे पर खुद ही लगा जाएँगे लोग
हादसों को यूँ हवा देते ही रहना है बजा
देखकर धूआँ, बुझाने आग को आएँगे लोग
हमको कुछ कहना पड़ा है आज मजबूरी में यूँ
डर था मेरी चुप से भी तो और घबराएँगे लोग
इतनी पैनी बातें मत कह अपनी ग़ज़लों में ऐ दोस्त
हो के जख्मी देखना बल साँप-से खाएँगे लोग
कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
देखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग
है बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
पहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन
16-शुक्रिया जिन्दगी -गज़ल संग्रह से
मेरे एक और ब्लॉग पर आज -सूरज का गब़न---कविता
http://katha-kavita.blogspot.com/
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gazal
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उम्दा ग़ज़ल कही आपने
ReplyDeleteफेंकते हैं आज पत्थर जिस पे इक दिन देखना
ReplyDeleteउसका बुत चौराहे पर खुद ही लगा जाएँगे लोग
Ultimate..bahut badhiya laga..dhanywaad shyam ji
नम तो होंगी आँखें मेरे दुश्मनों की भी जरूर
ReplyDeleteजग-दिखावे को ही मातम करने जब आएँगे लोग
बहुत प्यारे शब्द पिरोये आपने !
है बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
ReplyDeleteपहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग
बहुत खुब श्याम जी ..........ऐसा ही है जमाने मे पथ पर आग तो बिछाते है लोग, चलने से फफोले आ जाये तो सहलाते भी है लोग .....इस चलने और जलने मे घायल तो सिर्फ आत्मा ही होती है श्याम जी ...........
फेंकते हैं आज पत्थर जिस पे इक दिन देखना
ReplyDeleteउसका बुत चौराहे पर खुद ही लगा जाएँगे लोग...
बहूत कमाल के लिखा है श्याम जी .......... आपकी गज़लों में जीवन का darshan koot koot कर bhara होता है ...... sateek लिखते हैं आप .............
वाह श्यामजी वाह !
ReplyDeleteसभी शे'र बेहतरीन..............
ग़ज़ल मुबारक !
कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
ReplyDeleteदेखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग
सानी नही आपके अन्दाज़ का
कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
ReplyDeleteदेखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग
है बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
पहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग
wah shyamji , behatareen/lajawaab, hamesha ki tarah.
बहुत प्यारी ग़ज़ल हुई है.
ReplyDeleteहै बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
पहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग
इसके तो कहने ही क्या. हर शेर एक से बढकर एक है.
श्याम जी बहुत ही सुंदर शेर, वाह वाह मुंह से खुद वा खुद निकलती है.
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत उम्दा गजल है।बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteकौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
देखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग
बहुत ही शानदार, ज़बरदस्त और उम्दा ग़ज़ल लिखा है आपने !
ReplyDeleteअहा !
ReplyDeleteएक बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल डाक्तर साब...लाजवाब। हर शेर पर बरबस वाह-वाह निकली है।
बहुत खूब लिखा है आपने। गजल में जीवन का सच दिखाई देता है। बधाई।
ReplyDeleteShaym ji
ReplyDeleteaapki gazal mein ek nayapan jhalkta hai
कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
देखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग
aur gazal ka beher pesh karne se seekhne waalon ko suvidha bhi hoti hai aur protsahan bhi
Devi nangrani
फेंकते हैं आज पत्थर जिस पे इक दिन देखना
ReplyDeleteउसका बुत चौराहे पर खुद ही लगा जाएँगे लोग
यही तो हो रहा है. गाँधी को गालियां देने वाले भी उनकी मूर्ति पर 'श्रद्धा सुमन' अर्पित करते नजर आते हैं. सियासत ने आडियालोजी जैसी चीजको हाशिये पर रख दिया है. पेरियार एक राष्ट्रीय पार्टी बनने की राह पर अग्रसर दल के साहित्य से गायब हैं.
आपसे मुलाक़ात सुखद रही लेकिन उसी रोज़ हाई फीवर, सर्दी, सर दर्द, चक्कर और भीषण कमजोरी झेल रहा हूँ. आज सोचा की लेटे-लेटे ही सही, कुछ लोगों को सांत्वना तो दी जाये. लोगों की गालियाँ मिल रही होंगी मुझे.
आपके कार्यक्रम की रपट अख़बारों में नहीं आयी!
फेंकते हैं आज पत्थर जिस पे इक दिन देखना
ReplyDeleteउसका बुत चौराहे पर खुद ही लगा जाएँगे लोग
हादसों को यूँ हवा देते ही रहना है बजा
देखकर धूआँ, बुझाने आग को आएँगे लोग
सही चित्रण किया है है आपने.
- सुलभ (यादों का इंद्रजाल)
है बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
ReplyDeleteपहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग ।
बहुत पसंद आया ये शेर , वैसे तो पूरी गज़ल ही सुंदर है ।
फेंकते हैं आज पत्थर जिस पे इक दिन देखना
ReplyDeleteउसका बुत चौराहे पर खुद ही लगा जाएँगे लोग
बहुत सुन्दर शे’र हैं सभी.
बेहतरीन ग़ज़ल..पढ़ कर अच्छा लगा..बधाई!!
ReplyDeleteकौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
ReplyDeleteदेखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग
एक से एक कमाल के जबरदस्त शेर निकाले हैं आपने. वाह..पूरी गज़ल उम्दा है.
है बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
ReplyDeleteपहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग
badhiya sher