
हसीनो पे गुस्सा तो फबता है यारो
वो चंदरमुखी हो या हो कोई पारो
फ़ुटकर शे‘र-नं-१
फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,
दिल से होकर दिल तलक इक रास्ता जाता तो है
और गर कुछ है नहीं ये इश्क इक धोखा तो है
बेवफ़ा बेशक सही, लेकिन पराया मैं नहीं
उनको मेरी जात पर इतना यकीं आता तो है
है अगर खंजर लिये कातिल तो भी क्या डर उन्हें
पास उनके भी झुकी नजरों का इक हरबा तो है
दोस्ती को तोड़कर वो हो भले दुश्मन गया
बन के दुश्मन साथ मेरे आज भी रहता तो है
याद तुझको जब कभी आती है मेरी जानेमन
चाँद आँगन में मेरे उस रोज मुस्काता तो है
मैने अपनी गलतियों से है यही सीखा `सखा'
कोई समझे या न समझे वक्त समझाता तो है
फ़ाइलातुन, फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन