
आइना भी देखने को दिल नहीं करता
अब किसी से रूठने को दिल नहीं करता
आज वो तैयार हैं सब-कुछ लुटाने को
पर उन्हें यूँ लूटने को दिल नहीं करता
सच कहूंगा तो वो शायद झूठ समझेगा
झूठ उससे बोलने को दिल नहीं करता
बेखुदी में खो गया हूँ इस कदर कुछ मैं
अब खुदी को ढूँढने को दिल नहीं करता
ले चलो कश्ती भँवर में 'श्याम’ तुम अपनी
यूं किनारे डूबने को दिल नहीं करता
अब किसी से रूठने को दिल नहीं करता
आज वो तैयार हैं सब-कुछ लुटाने को
पर उन्हें यूँ लूटने को दिल नहीं करता
सच कहूंगा तो वो शायद झूठ समझेगा
झूठ उससे बोलने को दिल नहीं करता
बेखुदी में खो गया हूँ इस कदर कुछ मैं
अब खुदी को ढूँढने को दिल नहीं करता
ले चलो कश्ती भँवर में 'श्याम’ तुम अपनी
यूं किनारे डूबने को दिल नहीं करता
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ा या फ़ाइलु्न फ़ेलुन
गज़ल न० ३१
Sir this is a very very beautiful Ghazal. I really loved each She'r. Too good.
ReplyDelete.. I can't make out which She'r I liked more!
Pranam
RC
I am back :-)
ReplyDeleteI think these two are gems -
आज वो तैयार हैं सब-कुछ लुटाने को
पर उन्हें यूँ लूटने को दिल नहीं करता
सच कहूंगा तो वो शायद झूठ समझेगा
झूठ उससे बोलने को दिल नहीं करता
ले चलो कश्ती भँवर में 'श्याम’ तुम अपनी
ReplyDeleteयूं किनारे डूबने को दिल नहीं करता
बहुत खुद्दार शेर है श्याम जी...बेहतरीन...पूरी ग़ज़ल ही असरदार है...बधाई..
नीरज
वाह !!! रवानगी लिए सुन्दर ग़ज़ल !!
ReplyDeleteले चलो कश्ती भँवर में 'श्याम’ तुम अपनी
ReplyDeleteयूं किनारे डूबने को दिल नहीं करता
वाह क्या बात है
वीनस केसरी
Dil jab khus hota hai, to sab achchha lagta hai.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
आज वो तैयार हैं सब-कुछ लुटाने को
ReplyDeleteपर उन्हें यूँ लूटने को दिल नहीं करता
बहुत सुन्दर रचना . दिल से बधाई.
बहुत टूट चूका हूँ जिन्दगी में यारो
अब और टूटने को दिल नहीं करता.
बहुत टूट चूका हूँ जिन्दगी में यारो
ReplyDeleteअब और टूटने को दिल नहीं करता.
दिल को छू गया ग़ज़ल का यह शेर.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
ले चलो कश्ती भँवर में 'श्याम’ तुम अपनी
ReplyDeleteयूं किनारे डूबने को दिल नहीं करता
बेहद खूबसूरत !!
यह शेर इस ग़ज़ल कि आत्मा है
स्वप्न मंजूषा
manjusha ji se purantah sahamat
ReplyDeletebahut khub likha hai aapne shyaam ji