Monday, May 4, 2009
कठिन इश्क की डगर बाबा-गज़ल
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कठिन इश्क की डगर बाबा
पाँव रखना तू सोचकर बाबा
बाँटिये खुशियाँ ग़म छुपा लीजै
सीखिये इतना तो हुनर बाबा
छाँह शीतल सभी को देकर भी
धूप में जलते हैं शजर बाबा
जि़न्दगी क्या है बस यही तो है
मह्ज़ दो दिन का ही सफऱ बाबा
ये सियासत भी खूब है जिसमें
राहजऩ भी हैं मोतबर बाबा
खूबसूरत है ये जमीं कितनी
लग न जाए इसे नजर बाबा
बात उसकी थी दिलफऱेब ऐसी
रह गया मैं भी डूबकर बाबा
इश्क में खुद को ही तपा्कर तो
हो गए लोग नामवर बाबा
किस की लेगा खबर बताओ वो
'श्याम’ तो खुद है बेखबर बाबा
फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन फ़ेलुन
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gazal
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जि़न्दगी क्या है बस यही तो है
ReplyDeleteमह्ज़ दो दिन का ही सफऱ बाबा
वाह श्याम सखा जी। सुन्दर। एक तुकबंदी मैं भी कर दूँ-
अकेले ही चल रहा हूँ अबतलक
न जाने कब मिले हमसफर बाबा
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
थोड़े से लिखे को ज्यादा समझना
ReplyDeleteकह रहा है ये तुमसे श्याम बाबा
जो उसे समझ लेते है....उसे
मिल जाते हैं घनश्याम बाबा....!!
किस की लेगा खबर बताओ तो
ReplyDelete'श्याम’तो खुद है बेखबर बाबा
सुन्दर प्रस्तुति.
बधाई.
जि़न्दगी क्या है बस यही तो है
ReplyDeleteमह्ज़ दो दिन का ही सफऱ बाबा...
बहुत उम्दा ..
छाँह शीतल सभी को देकर भी
ReplyDeleteधूप में जलते हैं शजर बाबा
बहुत खूब श्याम जी ...वाह...इस से कुछ मिलता जुलता एक शेर मेरा भी सुन लीजिये...या पढ़ लीजिये:
भला करता है जो सबका, नहीं बदले में कुछ पाये,
कहां पेड़ों को मिलते हैं, कभी ठंडे घने साये
नीरज
छाँह शीतल सभी को देकर भी
ReplyDeleteधूप में जलते हैं शजर बाबा
वाह !! काफिये खूब सारे चुन रखे थे आपने। मुझे लगा था, कम ही शेर होंगे गज़ल में लेकिन काफी ढूंढ लाये आप !!
नीरज जी,
आपने भी खूब शेर पेश किया है। लाजवाब
बात उसकी थी दिलफऱेब ऐसी
ReplyDeleteरह गया मैं भी डूबकर बाबा
इश्क में खुद को ही तपा्कर तो
हो गए लोग नामवर बाबा
किस की लेगा खबर बताओ तो
'श्याम’ तो खुद है बेखबर बाबा
wah shyam ji , tareef ke liye lafz kam pad gaye hain. behatareen.
Waah !!! Waah !!! Bahut bahut sundar !!
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