Monday, August 10, 2009

सबका हिसाब रखता है/गज़ल


26
लिख के सबका हिसाब रखता है
दिल में ग़म की किताब रखता है


कोई उसका बिगाड़ लेगा क्या
खुद को खानाखराब रखता है



आग आँखों में और मुट्ठी में
वो सदा इन्किलाब रखता है



जो है देखें जमाने की सीरत
खुद को वो कामयाब रखता है



उसकी नाजुक अदा के क्या कहने
मुटठी में माहताब रखता है



बाट खुशियों की जोहता है तू
दिल में क्यों फिर अजाब रखता है


आइने से कर लड़ाई ,कि वो
कब किसी का हिजाब रखता है



उससे क्या गुफ़्तगू करोगे तुम
वो सभी का जवाब रखता है


श्यामचितचोर, है नचनिया है
कैसे-कैसे खिताब रखता है

फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन,फ़ेलुन

मेरा एक और ब्लाग
http://katha-kavita.blogspot.com/

28 comments:

  1. कोई उसका बिगाड़ लेगा क्या
    खुद को खानाखराब रखता है

    आइने से न कर लड़ाई ,कि वो
    कब किसी का हिजाब रखता है

    क्या बात है भाई. बेहतरीन.

    ReplyDelete
  2. kya bat hai ....waah waah .....kamaal kar diya apane .....bahut hi sundar

    ReplyDelete
  3. उसकी नाजुक अदा के क्या कहने
    मुटठी में माहताब रखता है
    बहुत सुन्दर शेर -- सभी शेर लाजवाब

    ReplyDelete
  4. आग आँखों में और मुट्ठी में
    वो सदा इन्किलाब रखता है

    लाजवाब शेर है श्याम जी......... बागी तेवर हैं इस शेर में.......... पूरी ग़ज़ल के तो क्या कहने

    ReplyDelete
  5. उससे क्या गुफ़्तगू करोगे तुम
    वो सभी का जवाब रखता है

    हर बार की तरह बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति, आभार्

    ReplyDelete
  6. आग आँखों में और मुट्ठी में
    वो सदा इन्किलाब रखता है



    वाह वाह .... क्या बात है
    मैच्योर बेहतरीन ग़ज़ल

    आज की आवाज

    ReplyDelete
  7. आइने से न कर लड़ाई ,कि वो
    कब किसी का हिजाब रखता है

    सुन्‍दर ग़ज़ल...

    ReplyDelete
  8. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने श्याम जी वाह..वा...सभी शेर कामयाब हैं...
    नीरज

    ReplyDelete
  9. लिख के सबका हिसाब रखता हैदिल में ग़म की किताब रखता है
    बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है सर
    इसी रदीफ पर एक शेर याद आ रहा है-
    उसे तो आता है मतलब निकालने का हुनर,
    वो गुफ्तगू में बहुत जी-जनाब रखता है.

    ReplyDelete
  10. आइने से न कर लड़ाई ,कि वो
    कब किसी का हिजाब रखता है

    कमाल का भाव. बधाई

    ReplyDelete
  11. umda ghazal...............
    mubaaraq ho !

    ReplyDelete
  12. आपको पहली बार पढ़ा और ये ग़ज़ल बेहद पसंद आई।

    ReplyDelete
  13. वाह! पर चित्र में सब का हिसाब रख रही है:)

    ReplyDelete
  14. ये ग़ज़ल पहली बार हिंदी-युग्म पर पढ़ी थी...सुंदर काफ़ियों में सजी सुंदर ग़ज़ल

    ReplyDelete
  15. लिख के सबका हिसाब रखता हैदिल में ग़म की किताब रखता है.bahut khoob .achchhi gazal.

    ReplyDelete
  16. ग़ज़ल आपकी बेशक सुन्दर है।
    लेकिन किसी के मेलबॉक्स में जबरिया लिंक ठेलना ठीक है क्या?

    बुरा मत मानिएगा, लेकिन इस अनुरोध पर विचार करें तो बड़ी कृपा होगी।

    ReplyDelete
  17. कुछ गज़लकार ऐसे हैं जिनकी गज़ल पर टिप्पणी करना मेरे लिये सूरज को दीप दिखाने के बराबर है मगर फिर भी दाद दिये बिना रहा नहीं जाता लाजवाब गज़ल के लिये बधाई

    ReplyDelete
  18. shyam ji...
    bahut he adbhbut gazal likhi hai aapne...
    mubaarkaan....

    ReplyDelete
  19. बहुत उम्दा गजल है बधाई।

    ReplyDelete
  20. vo sabhee kaa jawaab rakhataa hai,----kyaa baat hai.

    ReplyDelete
  21. Wah shyaam ji
    aapki gazal ka har sher nageene ki tarah hai
    shukriya ise padhwane ke liye
    aapke blog tak aana bahut achha laga

    kuch aur gazalen padhne ka intezaar rahega

    ReplyDelete
  22. behatareen,

    उससे क्या गुफ़्तगू करोगे तुम
    वो सभी का जवाब रखता है


    श्याम’ चितचोर,नचनिया भी है
    कैसे-कैसे खिताब रखता है

    shyam ji , behad umda rachna ke liye badhaai.

    ReplyDelete
  23. awesome...

    Lajawab shayam ji...

    aapko padhke bahut seekhne milta hai..

    Kabhi mere blog pe bhi dastak deke apne sujhav dijiyega..
    i'll b honoured really...

    aapki rachna padh ke aanand aa gaya...

    mere blog ka pata -
    www.soz-e-dil.blogspot.com

    ReplyDelete
  24. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!
    ---
    INDIAN DEITIES

    ReplyDelete
  25. Bahut khub shyam Ji , kya likha hai aapne !

    ReplyDelete
  26. बेहद लाजवाब श्याम जी

    ReplyDelete