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लिख के सबका हिसाब रखता है
दिल में ग़म की किताब रखता है
कोई उसका बिगाड़ लेगा क्या
खुद को खानाखराब रखता है
आग आँखों में और मुट्ठी में
वो सदा इन्किलाब रखता है
जो है देखें जमाने की सीरत
खुद को वो कामयाब रखता है
उसकी नाजुक अदा के क्या कहने
मुटठी में माहताब रखता है
बाट खुशियों की जोहता है तू
दिल में क्यों फिर अजाब रखता है
आइने से न कर लड़ाई ,कि वो
कब किसी का हिजाब रखता है
उससे क्या गुफ़्तगू करोगे तुम
वो सभी का जवाब रखता है
श्याम’ चितचोर, है नचनिया है
कैसे-कैसे खिताब रखता है
फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन,फ़ेलुन
मेरा एक और ब्लाग
http://katha-kavita.blogspot.com/
कोई उसका बिगाड़ लेगा क्या
ReplyDeleteखुद को खानाखराब रखता है
आइने से न कर लड़ाई ,कि वो
कब किसी का हिजाब रखता है
क्या बात है भाई. बेहतरीन.
kya bat hai ....waah waah .....kamaal kar diya apane .....bahut hi sundar
ReplyDeleteउसकी नाजुक अदा के क्या कहने
ReplyDeleteमुटठी में माहताब रखता है
बहुत सुन्दर शेर -- सभी शेर लाजवाब
आग आँखों में और मुट्ठी में
ReplyDeleteवो सदा इन्किलाब रखता है
लाजवाब शेर है श्याम जी......... बागी तेवर हैं इस शेर में.......... पूरी ग़ज़ल के तो क्या कहने
उससे क्या गुफ़्तगू करोगे तुम
ReplyDeleteवो सभी का जवाब रखता है
हर बार की तरह बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आभार्
आग आँखों में और मुट्ठी में
ReplyDeleteवो सदा इन्किलाब रखता है
वाह वाह .... क्या बात है
मैच्योर बेहतरीन ग़ज़ल
आज की आवाज
आइने से न कर लड़ाई ,कि वो
ReplyDeleteकब किसी का हिजाब रखता है
सुन्दर ग़ज़ल...
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने श्याम जी वाह..वा...सभी शेर कामयाब हैं...
ReplyDeleteनीरज
लिख के सबका हिसाब रखता हैदिल में ग़म की किताब रखता है
ReplyDeleteबहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है सर
इसी रदीफ पर एक शेर याद आ रहा है-
उसे तो आता है मतलब निकालने का हुनर,
वो गुफ्तगू में बहुत जी-जनाब रखता है.
आइने से न कर लड़ाई ,कि वो
ReplyDeleteकब किसी का हिजाब रखता है
कमाल का भाव. बधाई
umda ghazal...............
ReplyDeletemubaaraq ho !
आपको पहली बार पढ़ा और ये ग़ज़ल बेहद पसंद आई।
ReplyDeleteवाह! पर चित्र में सब का हिसाब रख रही है:)
ReplyDeleteये ग़ज़ल पहली बार हिंदी-युग्म पर पढ़ी थी...सुंदर काफ़ियों में सजी सुंदर ग़ज़ल
ReplyDeleteलिख के सबका हिसाब रखता हैदिल में ग़म की किताब रखता है.bahut khoob .achchhi gazal.
ReplyDeleteग़ज़ल आपकी बेशक सुन्दर है।
ReplyDeleteलेकिन किसी के मेलबॉक्स में जबरिया लिंक ठेलना ठीक है क्या?
बुरा मत मानिएगा, लेकिन इस अनुरोध पर विचार करें तो बड़ी कृपा होगी।
कुछ गज़लकार ऐसे हैं जिनकी गज़ल पर टिप्पणी करना मेरे लिये सूरज को दीप दिखाने के बराबर है मगर फिर भी दाद दिये बिना रहा नहीं जाता लाजवाब गज़ल के लिये बधाई
ReplyDeleteshyam ji...
ReplyDeletebahut he adbhbut gazal likhi hai aapne...
mubaarkaan....
Shaandaar GAZAL.
ReplyDelete{ Treasurer-T & S }
बहुत उम्दा गजल है बधाई।
ReplyDeletevo sabhee kaa jawaab rakhataa hai,----kyaa baat hai.
ReplyDeleteWah shyaam ji
ReplyDeleteaapki gazal ka har sher nageene ki tarah hai
shukriya ise padhwane ke liye
aapke blog tak aana bahut achha laga
kuch aur gazalen padhne ka intezaar rahega
behatareen,
ReplyDeleteउससे क्या गुफ़्तगू करोगे तुम
वो सभी का जवाब रखता है
श्याम’ चितचोर,नचनिया भी है
कैसे-कैसे खिताब रखता है
shyam ji , behad umda rachna ke liye badhaai.
awesome...
ReplyDeleteLajawab shayam ji...
aapko padhke bahut seekhne milta hai..
Kabhi mere blog pe bhi dastak deke apne sujhav dijiyega..
i'll b honoured really...
aapki rachna padh ke aanand aa gaya...
mere blog ka pata -
www.soz-e-dil.blogspot.com
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!
ReplyDelete---
INDIAN DEITIES
Bahut khub shyam Ji , kya likha hai aapne !
ReplyDeleteबेहद लाजवाब श्याम जी
ReplyDeletebahut shaandaar....
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