Sunday, August 16, 2009
फ़ुटकर शे' र- 5
दोस्त तो सिर्फ़ दोस्त होता है
दोस्त खोटा खरा नहीं होता
संजीव गौतम said... अच्छा शेर है. पूरी ग़ज़ल भी कह डालिये
भाई संजीव गौतम जी ,फ़ुटकर शेर के अन्तर्गत मैं अपने वे शेर भर पोस्ट कर रहा हूं जो कम से कम १०-१५ वर्ष पूर्व हुए और जिन पर मैं आगे और कुछ नहीं लिख पाया,और मैने आमतौर पर कोई शब्द भी नहीं लिखता जब तक वह मन में आकर बगाव्त न करे बाहर आने की ३-४ अच्छी नामीगिरामी पत्रिकाओं ने समसामयिक लेख लिखने पत्रों ने फ़ीचर या कॉलम हेतु भी आमन्त्रण दिया पर मै नही कर पाया अत: गजल कभी पूरी हुई तो हो मैं कोशिश करने का वादा नहीं कर सकता और अब तो भाई दीक्षित दनकौरी ने इस जमीन पर एक बेहतर गज़ल लिख दी है अत; यह शेर लेकर गज़ल पूरी करना बेमानी व गल्त होगा,भाई दीक्षित दनकौरी का शेर देखें
या तो होता है या नहीं होता
शे’र अच्छा बुरा नहीं होता
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gazal
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वाह क्या बात है
ReplyDeletebahut hi khub
ReplyDeleteSahi kaha......
ReplyDeletegood one...
ReplyDeleteJAI HIND !
ReplyDeleteसच कहा है आपने........... लाजवाब शेर है ............
ReplyDeletedostimen pyaar bhi takraar bhi
ReplyDeleteusmen chhota bada nahin hota
shyam ji , aapka phutkar sher behad umda hai.
bahut achchha laga aapka sher. badhai!!
ReplyDeleteहां डाक्टर साहब, दोस्त तो दोस्त होता है
ReplyDeleteबिल्ली या कुत्ता नहीं होता:)
अच्छा शेर है. पूरी ग़ज़ल भी कह डालिये
ReplyDeleteदोस्तो!आप सभी का एक बार और आभार
ReplyDeleteभाई संजीव गौतम जी ,फ़ुटकर शेर के अन्तर्गत मैं अपने मात्रवे शेर पोस्ट कर रहा हूं जो कम से कम १०-१५ वर्ष पूर्व हुए और जिन पर मैं आगे और कुछ नहीं लिख पाया,और मैने आमतौर पर कोई शब्द भी नहीं लिखता जब तक वह मन में आकर बगाव्त न करे बाहर आने की ३-४ अच्छी नामीगिरामी पत्रिकाओं ने समसामयिक लेख लिखने पत्रों ने फ़ीचर या कॉलम हेतु भी आमन्त्रण दिया पर मै नही कर पाया अत: गजल कभी पूरी हुई तो हो मैं कोशिश करने का वादा नहीं कर सकता और अब तो भाई दीक्षित दनकौरी ने इस जमीन पर एक बेहतर गज़ल लिख दी है अत; यह शेर लेकर गज़ल पूरी करना बेमानी व गल्त होगा,भाई दीक्षित दनकौरी का शेर देखें
या तो होता है या नहीं होता
शे’र अच्छा बुरा नहीं होता
जीवन यथार्थ कह डाला आपने
ReplyDeleteश्याम सखा जी,
ReplyDeleteदीक्षित दनकौरी जी का ये शेर बहुत प्रसिद्द है पर दुःख की बात ये है की आपने इसे गलत (उलटा) के लिख दिया,
ठीक शेर ये है
शेर अच्छा-बुरा नहीं होता
या तो होता है या नहीं होता
ये शेर दुष्यंत के बाद-३ बाग़ में प्रकाशित है, आदरणीय दीक्षित जी ने इस शेर से संग्रह की भूमिका प्रारंभ की है और इस पर कही हुई गजल १०-१२ जगह प्रकाशित भी हो चुकी है ........ आप तो दुष्यंत के बाद -३ भाग के लाकार्पण समारोह में भी शामिल थे, इतना महतवपूर्ण शेर आपने गलत लिख दिया मुझे हैरानी है.
सादर
अरुण मित्तल 'अद्भुत'