अपनों को समझाना मुश्किल
चुप भी तो रह पाना मुश्किल
खोना मुश्किल पाना मुश्किल
खाली मन बहलाना मुश्किल
मौन रहें, तो बात बने कब
कहकर भी सुख पाना मुश्किल
बैरी सावन बरसे रिमझिम
रातों का कट पाना मुश्किल
सुलझों को उलझाना आसां
उलझों को सुलझाना मुश्किल
3-dbkgm se
once again a very nice composition....
ReplyDeletegreat work....
वाह साहब वाह
ReplyDelete--->
गुलाबी कोंपलें · चाँद, बादल और शाम
कई मुश्किलों को आसान करने का प्रयास .....
ReplyDeleteअद्भुत अभिव्यक्ति
कमाल की ग़ज़ल !
बधाई ..श्याम सखाजी !
बहुत अच्छे ,कह कर भी बतलाना मुश्किल पिछली पोस्ट में गीत और ग़ज़ल का फर्क भी बारीकी से समझाया है | एक शेर पर बड़ी देर तक हँसी आती रही
ReplyDeleteमेरे मरने पे कब्रिस्तान बोला
बहुत इतरा रहा था आ गया न
Saral lafzon men badee baat kah dee aapne.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
namashkaar shyaam जी ............. लाजवाब लिखा है ......... manmohak शब्द हैं दिल से nikle sher .......
ReplyDeleteउलझो को उलझाना ---
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
सुलझों को उलझाना आसां
ReplyDeleteउलझों को सुलझाना मुश्किल
वाह वा...श्याम जी वाह...क्या बात कह गए हैं आप...बेमिसाल ...लाजवाब....गज़ब.
नीरज
SOCH RAHA THA PAANCH MEN SE EK SHER CHUNKAR VISHESH COMMENT KARUN LEKIN YE TO SABHI EK SE BADHKAR EK HAIN KISE CHUNUN KISE CHHODUN. SARVOTTAM SHYAMJI, BADHAI.
ReplyDeleteनिराला अंदाज़-ए-बयाँ !! बेहतरीन ग़ज़ल कही है आप ने भाई.
ReplyDeletemaktaa khaas pasand aaya
ReplyDeletevenus kesari
3-dbkgm se?
ReplyDeletematlab???
gazal bahut hi badhia hai.....
बहुत ख़ूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये ग़ज़ल काबिले तारीफ है! बहुत खूब!
ReplyDeleteअपनों को समझाना मुश्किल,
ReplyDeleteचुप भी तो रह पाना मुश्किल
से लेकर
सुलाझों को उलझाना आसां
उलझों को सुलझाना मुश्किल
तक का ग़ज़ल का ये सफ़र कई मुश्किलों से रु-ब-रु बहुत ही सहजता से करा गया, जो आसन है पर प्रिय नहीं, वह भी तो बता गया
बधाई , बधाई, बधाई.............
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
अपनों को समझाना मुश्किल.
ReplyDeleteचुप भी तो रह पाना मुश्किल.
ये शेर बहुत गहरायी तक जाता है. मुझे लगता है कि शायद इसी शेर के लिये ये ग़ज़ल हुई है. आपने मन की बात कह दी.
ऊपर वाला फुटकर शेर भी बहुत अच्छा है.
अपनों को समझाना मुश्किल.
ReplyDeleteचुप भी तो रह पाना मुश्किल.
ये शेर बहुत गहरायी तक जाता है. मुझे लगता है कि शायद इसी शेर के लिये ये ग़ज़ल हुई है. आपने मन की बात कह दी.
ऊपर वाला फुटकर शेर भी बहुत अच्छा है.
achcha laga aapka prayaas
ReplyDeleteसभी पंक्तियाँ दिल को छूती है.
ReplyDeleteजिंदगी की बेहद तल्ख हकीकत से रूबरू कराया आपने. इस सफल गजल के लिए बधाई.
ReplyDelete