Saturday, September 5, 2009

फ़ुटकर शे‘र-नं -6-श्याम सखा श्याम



दर्द मेरा बाँटने की है भला फ़ुरसत किसे
लोग समझाने चले आते हैं यूं अक्सर मुझे


फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन

16 comments:

  1. वाह क्या बात है। बहुत खुब

    ReplyDelete
  2. क्या बात कही है श्याम जी,
    लाजवाब !!!

    ReplyDelete
  3. वाह ......... लाजवाब .......... गहरी बात ............. प्रणाम श्याम जी

    ReplyDelete
  4. वाह वाह क्या बात है जी

    ReplyDelete
  5. अति सुन्दर रचना...
    नीरज

    ReplyDelete
  6. wah shyaam ji, gazal ka roop dijiye na. bahut umda sher hai.

    ReplyDelete
  7. bahut sundar

    happy bloging

    venus kesari

    ReplyDelete
  8. वाह.... क्या बात है... बढ़िया..

    ReplyDelete
  9. बढ़िया शेर,
    हम तो समझ रहे है.

    बधाई
    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

    ReplyDelete
  10. श्याम जी
    अति सुंदर शेर एक फबते हुए रदीफ़ के साथ

    पढ़ते पढ़ते आंख मेरी नाम हुई जाती है क्यों
    दर्द औरों का लगे अपना सा क्यों अक्सर मुझे?

    दाद के साथ
    देवी नागरानी

    ReplyDelete
  11. एक, अकेला शेर, पूरे उपन्यास का मैटर समेटे हुए है. ' लोग समझाने चले आते हैं ' क्या बात है.

    ReplyDelete