बात इक मुझको बहुत भाती है यारब
याद उसको भी मेरी आती है यारब
मोड़ बाकी हैं कई मंजिल तलक तो
ये हवा यूँ मुझको समझाती है यारब
मौजों से रंजिश, किनारों से अदावत
देखें कश्ती ले कहाँ जाती है यारब
पात झड़ने पर है क्यों मायूस गुलशन
रुत यही लेकर बहार आती है यारब
कैसे मसले जग के सुलझाएगा वो शख्स
रूह जिसकी जबकि जज्बाती है यारब
बैठे है हम तो दिये दिल के जलाकर
आंधी क्यों डर हमको दिखलाती है यारब
हैं गुजरते लम्हे जब सदियों की मानिन्द
तब कहीं शब वस्ल की आती है यारब
मौत से क्यों है डरे ’इतना जमाना
मौत के ही बाद जीस्त आती है यारब
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
बैठे है हम तो दिये दिल के जलाकर
ReplyDeleteआंधी क्यों डर हमको दिखलाती है यारब
बहुत सुंदर!
मौत से है क्यों डरे ’इतना जमाना
ReplyDeleteमौत के ही बाद जीस्त आती है यारब
-वाह!! बहुत गज़ब!!
पात झड़ने पर है क्यों मायूस गुलशन
ReplyDeleteरुत यही लेकर बहार आती है यारब....आशावादी शेर....अच्छा लगा...अच्छी ग़ज़ल...बधाई
इस खूबसूरत ग़ज़ल पर एक शेर और सादर प्रस्तुत कर रहा हूँ:
ReplyDeleteदिन कटा बेकार की बातों में मेरा
ये समझ कुछ देर से आती है यारब।
मौत से क्यों है डरे ’इतना जमाना
ReplyDeleteमौत के ही बाद जीस्त आती है यारब...
खूबसूरत ग़ज़ल...शानदार अशआर.....
हार्दिक बधाई।
बैठे है हम तो दिये दिल के जलाकर
ReplyDeleteआंधी क्यों डर हमको दिखलाती है यारब
हैं गुजरते लम्हे जब सदियों की मानिन्द
तब कहीं शब वस्ल की आती है यारब
मौत से क्यों है डरे ’इतना जमाना
मौत के ही बाद जीस्त आती है यारब
गज़ब के शेर्……………बेहतरीन गज़ल्।
मौजों से रंजिश, किनारों से अदावत
ReplyDeleteदेखें कश्ती ले कहाँ जाती है यारब
वाह क्या बात है ! बहुत सुन्दर ! पूरी ग़ज़ल उम्दा है !
आप सभी की आत्मीयता इन दिनों मेरा सम्बल है, आभार भाई तिलक जी आपका शे‘र तो इस गज़ल का तिलक [हासिले गज़ल शे‘र] है
ReplyDeleteदिन कटा बेकार की बातों में मेरा
ये समझ कुछ देर से आती है यारब।
मैं अगर जीवन में किसी चोरी का गुनहगार साबित हुआ तो वह होगी चोरी-चोरी सीखना। आपकी ग़ज़ल कहने की सहजता से बहुत कुछ पाया है उसीका परिणाम है यह सहज शेर।
ReplyDeleteयह आपकी उदारता ही मानूँगा कि मेरे कहे शेर को आपने सम्मान दिया। आप बड़े भाई हैं और बड़ों पर हमशा हक़ जताता आया हूँ इसीलिये आपके ब्लॉग पर टिप्पणी में शेर कहने की गुस्ताख़ी करता रहता हूँ।
masi-kagd ke jarie aapke sahity jeevan se prichit hoon
ReplyDeleteaapka blog milna itfakn rha , follow kar liya hai ,ab aapki rachnaen lgatar pdhne ko milengi
पात झड़ने पर है क्यों मायूस गुलशन
ReplyDeleteरुत यही लेकर बहार आती है यारब....
क्या शेर कहे हैं आपने,
बहुत खूब !......