71/८९
औरत के बहुआयामी जीवन एवम् व्यक्तित्व पर केन्द्रित एक गज़ल-
मेरा मानना है के स्त्री पृकृति की सबसे पूर्ण कृति है,पुरुष उसके सामने स्वय़ं को बौना पाता है,अधूरा महसूस करता है,
इसीलिये वह कभी एट्म बम,कभी चंद्र्यान ,कभी किले,महल तो कभी नये-नये धर्म ईजाद करता दिखता है,
जबकि स्त्री शिशु को जन्म देकर, उसका पालन-पोषण कर जीवन की पूर्णता, पाकर संतुष्ट् हो जाती है इसीलिए उसे कभी कोई धर्म ईजाद करने
की जरूरत महसूस नहीं हुई।
श्याम सखा ‘श्याम
1
काँच का बस एक घर है लड़कियों की जिन्दगी
और काँटों की डगर है लड़कियों की जिन्दगी
2
मायके से जब चले है सजके ये दुल्हिन बनी
दोस्त अनजाना सफर है लड़कियों की जिन्दगी
3
एक घर ससुराल है तो दूसरा है मायका
फिर भी रहती दर-ब-दर है लड़कियों की जिन्दगी
4
खूब देखा, खूब परखा, सास को आती न आँच,
स्टोव का फटना मगर है लड़कियों की जिन्दगी
5
पढलें लिखलें और करलें नौकरी भी ये भले
सेज पर सजना मगर है लड़कियों की जिन्दगी
6
इस नई तकनीक ने तो है बना दी कोख भी
आह कब्रिस्तान भर है लड़कियों की जिन्दगी
7
कारखानों अस्पतालों या घरों में भी तो यह
रोज लड़ती इक समर है लड़कियों की जिन्दगी
8
लूटते इज्जत हैं इसकी मर्द ही जब, तब कहो
क्यों भला बनती खबर है लड़कियों की जिन्दगी
9
बाप मां के बाद अधिकार है भरतार का
फर्ज का संसार भर है लड़कियों की जिन्दगी
10
हो रहीं तबदीलियां दुनिया में अब तो हर जगह
वक्त की तलवार पर है लड़कियों की जिन्दगी
11
क्यों हैं करती दुश्मनी खुद औरतों से औरतें
बस दुखी यह जानकर है लड़कियों की जिन्दग+ी
12
13
किस धरम, किस जात में इन्साफ इसको है मिला
जीतती सब हार कर है लड़कियों की जिन्दगी
14
हो अहल्या या हो मीरा या हो बेशक जानकी
मात्र चलना आग पर है लड़कियों की जिन्दगी
15
द्रोपदी हो, पद्मिनी हो, हो भले ही डायना
रोज लगती दाँव पर है लड़कियों की जिन्दगी
16
एक रजिया एक लक्ष्मी और इन्दिरा जी भला
क्या नहीं अपवाद-भर है लड़कियों की जिन्दगी
17
क्या जवानी क्या बुढ़ापा या भले हो बचपना
सहती हर दम बद नजर है लड़कियों की जिन्दगी
18
हों घरों में, आफिसों में, हों सियासत में भले
क्या कहीं भी मोतबर है लड़कियों की जिन्दगी
19
औरतों के हक में हों कानून कितने ही बने
दर हकीकत बेअसर है लड़कियों की जिन्दगी
20
तू अगर इसको कभी अपने बराबर मान ले
फिर तो तेरी हमसपफर है लड़कियों की जिन्दगी
21
घर भी तो इनके बिना बनता नहीं घर दोस्तो
क्यों भला फ़िर घाट पर है लड़कियों की जिन्दगी
22
आह धन की लालसा का आज ये अंजाम है
इश्तिहारों पर मुखर है लड़कियों की जिन्दगी
23
क्यों हैं करती,दुश्मनी खुद औरतों से औरतें
बस दुखी यह जानकर है लड़कियों की जिन्दगी
23/a
कर नुमाइश जिस्म की क्या खुद नहीं अब आ खड़ी
नग्नता के द्वार पर है लड़कियों की जिन्दगी
24
प्यार करने की खता करलें जो कहीं ये कभी
तब लटकती डाल पर है लड़कियों की जिन्दगी
25
जानती सब, बूझती सब, फिर भला क्यों बन रही
हुस्न की किरदार भर है लड़कियों की जिन्दगी
26
ठीक है आजाद होना, हो मगर उद्दण्ड तो
कब भला पायी सँवर है लड़कियों की जिन्दगी
27
माँ बहन बेटी कभी पत्नी कभी,कभी है प्रेयसी
जानती क्या-क्या हुनर है लड़कियों की जिन्दगी
28
मुम्बई हो, कोलकाता, राजधानी देहली
चल रही दिल थामकर है लड़कियों की जिन्दगी
29
ले रही वेतन बराबर,हक बराबर, पर नहीं
इतनी सी तकरार भर है लड़कियों की जिन्दगी
30
आदमी कब मानता इन्सान इसको है भला
काम की सौगात भर है लड़कियों की जिन्दगी
31
शोर करते हैं सभी तादाद इनकी घट रही
बन गई अनुपात भर है लड़कियों की जिन्दगी
32
ठान लें जो कर गुजरने की कहीं ये आज भी
पिफर तो मेधा पाटकर है लड़कियों की जिन्दगी
33
क्यों नहीं तैतीसवां हिस्सा भी इसको दे रहे,
आधे की हकदार गर है लड़कियों की जिन्दगी
34
देवता बसते वहाँ है पूजते नारी जहाँ
क्यों धरा पर भार भर है लड़कियों की जिन्दगी
35
हाँ, कहीं इनको मिले गर प्यार थोड़ा दोस्तो
तब सुधा की इक लहर है लड़कियों की जिन्दगी
36
मैंने तुमने और सबने कह दिया सुन भी लिया
क्यों न फिर जाती सुधर है लड़कियों की जिन्दगी
37
माफ मुझको अब तू कर दें ऐ खुदा मालिक मेरे
हाँ यही किस्मत अगर है लड़कियों की जिन्दगी
38
‘कल्पना’ को ‘श्याम’ जब अवसर दिया इतिहास ने
उड़ चली आकाश पर है लड़कियों की जिेन्दगी
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइ्लुन
औरत के बहुआयामी जीवन एवम् व्यक्तित्व पर केन्द्रित एक गज़ल-
मेरा मानना है के स्त्री पृकृति की सबसे पूर्ण कृति है,पुरुष उसके सामने स्वय़ं को बौना पाता है,अधूरा महसूस करता है,
इसीलिये वह कभी एट्म बम,कभी चंद्र्यान ,कभी किले,महल तो कभी नये-नये धर्म ईजाद करता दिखता है,
जबकि स्त्री शिशु को जन्म देकर, उसका पालन-पोषण कर जीवन की पूर्णता, पाकर संतुष्ट् हो जाती है इसीलिए उसे कभी कोई धर्म ईजाद करने
की जरूरत महसूस नहीं हुई।
श्याम सखा ‘श्याम
1
काँच का बस एक घर है लड़कियों की जिन्दगी
और काँटों की डगर है लड़कियों की जिन्दगी
2
मायके से जब चले है सजके ये दुल्हिन बनी
दोस्त अनजाना सफर है लड़कियों की जिन्दगी
3
एक घर ससुराल है तो दूसरा है मायका
फिर भी रहती दर-ब-दर है लड़कियों की जिन्दगी
4
खूब देखा, खूब परखा, सास को आती न आँच,
स्टोव का फटना मगर है लड़कियों की जिन्दगी
5
पढलें लिखलें और करलें नौकरी भी ये भले
सेज पर सजना मगर है लड़कियों की जिन्दगी
6
इस नई तकनीक ने तो है बना दी कोख भी
आह कब्रिस्तान भर है लड़कियों की जिन्दगी
7
कारखानों अस्पतालों या घरों में भी तो यह
रोज लड़ती इक समर है लड़कियों की जिन्दगी
8
लूटते इज्जत हैं इसकी मर्द ही जब, तब कहो
क्यों भला बनती खबर है लड़कियों की जिन्दगी
9
बाप मां के बाद अधिकार है भरतार का
फर्ज का संसार भर है लड़कियों की जिन्दगी
10
हो रहीं तबदीलियां दुनिया में अब तो हर जगह
वक्त की तलवार पर है लड़कियों की जिन्दगी
11
क्यों हैं करती दुश्मनी खुद औरतों से औरतें
बस दुखी यह जानकर है लड़कियों की जिन्दग+ी
12
13
किस धरम, किस जात में इन्साफ इसको है मिला
जीतती सब हार कर है लड़कियों की जिन्दगी
14
हो अहल्या या हो मीरा या हो बेशक जानकी
मात्र चलना आग पर है लड़कियों की जिन्दगी
15
द्रोपदी हो, पद्मिनी हो, हो भले ही डायना
रोज लगती दाँव पर है लड़कियों की जिन्दगी
16
एक रजिया एक लक्ष्मी और इन्दिरा जी भला
क्या नहीं अपवाद-भर है लड़कियों की जिन्दगी
17
क्या जवानी क्या बुढ़ापा या भले हो बचपना
सहती हर दम बद नजर है लड़कियों की जिन्दगी
18
हों घरों में, आफिसों में, हों सियासत में भले
क्या कहीं भी मोतबर है लड़कियों की जिन्दगी
19
औरतों के हक में हों कानून कितने ही बने
दर हकीकत बेअसर है लड़कियों की जिन्दगी
20
तू अगर इसको कभी अपने बराबर मान ले
फिर तो तेरी हमसपफर है लड़कियों की जिन्दगी
21
घर भी तो इनके बिना बनता नहीं घर दोस्तो
क्यों भला फ़िर घाट पर है लड़कियों की जिन्दगी
22
आह धन की लालसा का आज ये अंजाम है
इश्तिहारों पर मुखर है लड़कियों की जिन्दगी
23
क्यों हैं करती,दुश्मनी खुद औरतों से औरतें
बस दुखी यह जानकर है लड़कियों की जिन्दगी
23/a
कर नुमाइश जिस्म की क्या खुद नहीं अब आ खड़ी
नग्नता के द्वार पर है लड़कियों की जिन्दगी
24
प्यार करने की खता करलें जो कहीं ये कभी
तब लटकती डाल पर है लड़कियों की जिन्दगी
25
जानती सब, बूझती सब, फिर भला क्यों बन रही
हुस्न की किरदार भर है लड़कियों की जिन्दगी
26
ठीक है आजाद होना, हो मगर उद्दण्ड तो
कब भला पायी सँवर है लड़कियों की जिन्दगी
27
माँ बहन बेटी कभी पत्नी कभी,कभी है प्रेयसी
जानती क्या-क्या हुनर है लड़कियों की जिन्दगी
28
मुम्बई हो, कोलकाता, राजधानी देहली
चल रही दिल थामकर है लड़कियों की जिन्दगी
29
ले रही वेतन बराबर,हक बराबर, पर नहीं
इतनी सी तकरार भर है लड़कियों की जिन्दगी
30
आदमी कब मानता इन्सान इसको है भला
काम की सौगात भर है लड़कियों की जिन्दगी
31
शोर करते हैं सभी तादाद इनकी घट रही
बन गई अनुपात भर है लड़कियों की जिन्दगी
32
ठान लें जो कर गुजरने की कहीं ये आज भी
पिफर तो मेधा पाटकर है लड़कियों की जिन्दगी
33
क्यों नहीं तैतीसवां हिस्सा भी इसको दे रहे,
आधे की हकदार गर है लड़कियों की जिन्दगी
34
देवता बसते वहाँ है पूजते नारी जहाँ
क्यों धरा पर भार भर है लड़कियों की जिन्दगी
35
हाँ, कहीं इनको मिले गर प्यार थोड़ा दोस्तो
तब सुधा की इक लहर है लड़कियों की जिन्दगी
36
मैंने तुमने और सबने कह दिया सुन भी लिया
क्यों न फिर जाती सुधर है लड़कियों की जिन्दगी
37
माफ मुझको अब तू कर दें ऐ खुदा मालिक मेरे
हाँ यही किस्मत अगर है लड़कियों की जिन्दगी
38
‘कल्पना’ को ‘श्याम’ जब अवसर दिया इतिहास ने
उड़ चली आकाश पर है लड़कियों की जिेन्दगी
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइ्लुन
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
Awesome... ! I visited this blog after a long time and liked it. Thanks.
ReplyDeletebehatreen !
ReplyDeleteमहिला दिवस के सारे विषय इस गजल में समेट लिये गये हैं, संग्रहणीय पोस्ट है।
ReplyDeleteहर कोण को बहुत ही संजीदगी से आपने इस ग़ज़ल में समाहित किया है और उसे पाठक के ह्रदय तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया है.....
ReplyDeleteइस सार्थक सुन्दर मनमोहक रचना के लिए आपका बहुत बहुत आभार....
aaj tak ki aapki umda ghazal shayad....bahut badhai.
ReplyDeleteअरे!!!!!! यह सास-बहू का झगडा है डॊक्टर साब :)
ReplyDeleteकिसी पात्र विशेष को इतना करीब से अनुभव कर व्यक्त करना कठिन कार्य है।
ReplyDeleteलोग जिसको धूल से ज्यादह नहीं समझे जिसे
एक ऐसी रहगुजर है लड़कियों की जिन्दगी।
श्याम जी,
ReplyDeleteआपकी इस भावगर्भित ग़ज़ल के कई शे’र काफी पसंद आये... बधाई!