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हैं अभी आये अभी कैसे चले जाएँगे लोग
हमसे नादानों को क्या और कैसे समझाएँगे लोग
है नई आवाज धुन भी है नई तुम ही कहो
उन पुराने गीतों को फिर किसलिए गाएँगे लोग
नम तो होंगी आँखें मेरे दुश्मनों की भी जरूर
जग-दिखावे को ही मातम करने जब आएँगे लोग
फेंकते हैं आज पत्थर जिस पे इक दिन देखना
उसका बुत चौराहे पर खुद ही लगा जाएँगे लोग
हादसों को यूँ हवा देते ही रहना है बजा
देखकर धूआँ, बुझाने आग को आएँगे लोग
हमको कुछ कहना पड़ा है आज मजबूरी में यूँ
डर था मेरी चुप से भी तो और घबराएँगे लोग
इतनी पैनी बातें मत कह अपनी ग़ज़लों में ऐ दोस्त
हो के जख्मी देखना बल साँप-से खाएँगे लोग
कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
देखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग
है बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
पहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
हैं अभी आये अभी कैसे चले जाएँगे लोग
हमसे नादानों को क्या और कैसे समझाएँगे लोग
है नई आवाज धुन भी है नई तुम ही कहो
उन पुराने गीतों को फिर किसलिए गाएँगे लोग
नम तो होंगी आँखें मेरे दुश्मनों की भी जरूर
जग-दिखावे को ही मातम करने जब आएँगे लोग
फेंकते हैं आज पत्थर जिस पे इक दिन देखना
उसका बुत चौराहे पर खुद ही लगा जाएँगे लोग
हादसों को यूँ हवा देते ही रहना है बजा
देखकर धूआँ, बुझाने आग को आएँगे लोग
हमको कुछ कहना पड़ा है आज मजबूरी में यूँ
डर था मेरी चुप से भी तो और घबराएँगे लोग
इतनी पैनी बातें मत कह अपनी ग़ज़लों में ऐ दोस्त
हो के जख्मी देखना बल साँप-से खाएँगे लोग
कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
देखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग
है बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
पहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
kyaa bhtrin likhaa he bhaai mzaa aa gyaa . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteहमको कुछ कहना पड़ा है आज मजबूरी में यूँ
ReplyDeleteकि कमेंट न करते तो नाराज़ हो जाएंगे लोग :)
कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
ReplyDeleteदेखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग
है बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
पहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग
Khoobsurat sheron se sajee ye gajal kamal kee hai.
bahut bahut umda ghazal,bandhu !
ReplyDeleteनम तो होंगी आँखें मेरे दुश्मनों की भी जरूर
जग-दिखावे को ही मातम करने जब आएँगे लोग
फेंकते हैं आज पत्थर जिस पे इक दिन देखना
उसका बुत चौराहे पर खुद ही लगा जाएँगे लोग
हादसों को यूँ हवा देते ही रहना है बजा
देखकर धूआँ, बुझाने आग को आएँगे लोग....
badi teekhii chutaki li hai aapane ! Lutf aa gaya in sheron mein !
Naman !
कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
ReplyDeleteदेखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग....बहुत खूब! यही जीवन का सच है....अच्छे शेर...उम्दा ग़ज़ल...बधाई!
---देवेंद्र गौतम
कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
ReplyDeleteदेखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग....
उम्दा ग़ज़ल...बधाई!
है बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
ReplyDeleteपहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग ..bahut khoob!!!maqta vishesh pasand aaya..badhayi..