Tuesday, December 29, 2009

फ़ुटकर शे‘र नं ११- हैं बहुत नाजुक मगर

हैं बहुत नाजुक मगर डरते नहीं हैं आइने
फ़र्क
शाहो बांदी में करते नहीं हैं आइने


टूट जाते हैं बिखर जाते है फ़िर भी दोस्तो
अक्स
दिखलाने से तो हटते
नहीं हैं आइने



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ईता दोष गज़ल में दूर कर लिया है
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Wednesday, December 23, 2009

मै भला कब सुधरने वाला हूँ

आज कुछ कर गुजरने वाला हूँ
बन के खुशबू बिखरने वाला हूँ

तोड़ दो कसमें, दो भुला वादे
मैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ

टूटकर बिखरा हूं इस तरह यारो
अब कहाँ मैं संवरने वाला हूँ


जिन्दगी कर दे हसरतें पूरी
खुदकुशी अब मैं करने वाला हूँ

देख लो तुम मुझे सजा देकर
मै भला कब सुधरने वाला हूँ

फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन,फ़ेलुन

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Wednesday, December 16, 2009

दुश्मन यार जमाना है

खुद को ही समझाना है
यानि पहाड़ उठाना है

प्यार कभी होता होगा
अब तो यार फ़साना है

केवल शक के कारण ही
उलझा तान-बाना है

नाचे है, क्यों दिल मेरा
मौसम खूब सुहाना है

उसका बचना मुश्किल है
दुश्मन यार जमाना है

आज नहीं तो कल यारा
लौट सभी को जाना है

तुमसे दूर ‘सखा’जाना
जीते जी मर जाना है

फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ा


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Saturday, December 12, 2009

पुराना शे‘र नई बहर में--श्याम सखा






दिल आज फ़िर फ़साद करने लगा है
उस बेवफा को याद करने लगा है

बेताब रूह थी कभी मिलने कोश्याम
अब जिस्म भी जिहाद करने लगा है


मुस्तफ़इलुन,मफ़ाइलुन,फ़ाइलातुन
, १२ . १२


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रकीबों से उधार

Monday, December 7, 2009

-फ़ुटकर शे‘र-नं १०



दिल भी क्या-क्या फ़साद करता है
चाहे जब तुझको याद करता है

तुझसे मिलने को रूह ही तो नहीं

जिस्म भी अब जिहाद करता है