Friday, June 22, 2012

कोई पागल ही बनाएगा यहाँ घर दोस्तो-gazal by Dr shyam skha shyam

 
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भीड़ का मेला अकेला आदमी हर दोस्तो
कोई पागल ही बनाएगा यहाँ घर दोस्तो

चिमनियों का हर तरफ फ़ैला धुआं है देखिये
कौन इशारे मौसमी समझे यहाँ पर दोस्तो

पंछियों को था बिजूकों से डराता आदमी
खुद से ही अब तो उसे लगने लगा डर दोस्तो

ईंट पर बुनियाद की हम शे अब कैसे कहें
जब फ़्लैट अपना है मंजिल सातवीं पर दोस्तो

श्यामसे जब भी हो मिलना आपको श्यामजी
कीजिये बातें हवा से खोलकर पर दोस्तो

फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन





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Monday, June 11, 2012

सभी ख्वाब तो हैं बने टूटने को--- Gazal -Dr shyam skha shyam


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अभी तक सपन जो भी उर में थे लम्बित
हुए देख तुमको वे नयनों में अंकित

लजाने लगीं तितलियां बाग में तब
भंवर ने गुलों को किया जब भी चुम्बित

अचानक भरी प्यार से झोली उसकी
रहा था मुहब्बत से अब तक जो वंचित

सभी ख्वाब तो हैं बने टूटने को
किये जाते नाहक हो क्यों उनको संचित

जमाना कभीश्यामअनूठे को देखे
रहेगा खड़ा देखता वो अचम्भित

फ़ऊलुन,फ़ऊलुन.फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,





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