Tuesday, June 22, 2010

एक और इम्तिहान है-गज़ल

है जान तो जहान है
 फ़िर काहे का गुमान है

क्या कर्बला के बाद भी
 एक और इम्तिहान है

इतरा रहे हैं आप यूं
 क्या वक्त मेहरबान है

हैं लूट राहबर रहे
 जनता क्यों बेजुबान है

है ‘श्याम ’बेवफ़ा नहीं
हाँ इतना  इत्मिनान है





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Monday, June 14, 2010

हैं उठ रहीं मेरे मन में खराब-सी बातें-gazal


हैं उठ रहीं मेरे मन में खराब-सी बातें
थीं करनी तुमसे मुझे बेहिसाब-सी बातें

हो तुम  भी, हम भी हैं जब साफगो, उठीं फिर क्यों
हमारे बीच बताओ नकाब-सी बातें

बगैर जाम के मदहोश कर दिया उसने
रहा वो करता ही हर पल शराब-सी बातें

इलाही तुम ही हो क्या रूबरू मेरे ये कहो
हकीकतो में भी होती हैं ख्वाब-सी बातें

खुदा का जिक्र ही होता है कब जहाँ में अब
यहाँ तो होती हैं बस अब अजाब-सी बातें

समझनाश्यामको आसां नहीं कभी यारो
करे है वो तो सदा बस किताब-सी बातें

मफ़ाइलुन. फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन

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Friday, June 11, 2010

फ़ुटकर शे‘र-१२- श्याम सखा ‘श्याम‘

जिन्दगी भर जिन्दगी खेल दिखाती है रही
जीतकर भी हारना मुझको सिखाती है रही


फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ इ लातुन फ़ेलुन
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Friday, June 4, 2010

मर गया मैं तो कौन पूछेगा-gazal

चुप रहूँगा तो अनकही होगी
गर कहूँगा तो दिल्लगी होगी

आया होगा बुझाने को तब कौन
आग पानी में जब लगी होगी

सो रहा दिन है तानकर चादर
रात तो सारी शब जगी होगी

मर गया मैं तो कौन पूछेगा
जिन्दगी मिस्ले-खुदकुशी होगी

बम गिरेंगे कभी जो धरती पर
शोर के बाद खामुशी होगी

मौत पीछा करेगी निश्चय ही
साथ गर तेरे जि़न्दगी होगी

दिल रकीबों के जल गए होंगे
तुझसे जब भी नजर लड़ी होगी

प्यास जब जाएगी गुजर हद से
होगा सागर न फिर नदी होगी

जब भी देखेंगे 'श्याम’ की मैयत
दुश्मनों को बहुत खुशी होगी




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