Tuesday, April 27, 2010

कोई तो मतलब होगा- gazal

होने को तो सब होगा
लेकिन जाने कब होगा

चाहेगा जब रब यारा
मिलना अपना तब होगा

जब तब खत लिखता है जो
कोई खैरतलब होगा

दंगो की फसलों का तो
बीज सदा मजहब होगा

नाहक मिलता वो कब है
कोई तो मतलब होगा

‘श्याम’ मिलेगा जब हमको
सचमुच यार गजब होगा


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Tuesday, April 20, 2010

वक्त मज़े में गुजरेगा- gazal

गिर-गिर कर तू सँभलना सीख
पल-पल रंग बदलना सीख

क्या पाया हँसकर अब तक
यार हसद में जलना सीख

दुनिया छलती है सबको
तू दुनिया को छलना सीख

पाँवों से सब चलते हैं
सर के बल तू चलना सीख

वक्त मज़े में गुजरेगा
हर  साँचे में ढलना सीख

हर साजिश को कर दे खाक
शोला बनकर जलना सीख

`श्याम' कभी बालक बन कर
मेले बीच मचलना सीख


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Monday, April 12, 2010

जिस्म तो तूने नवाजा, खूबसूरत है उसे

कोई मेरे जख्म सी दे, चैन आये तब कहीं

कोई मेरे गम खरीदे, चैन आये तब कहीं


जिस्म तो तूने नवाजा, खूबसूरत है उसे
गर कहीं से रूह भी दे, चैन आये तब कहीं


सूखकर सहरा हुए हैं, नैन मेरे देख तो
इनको सुख की भी नमी दे, चैन आये तब कहीं


छू रहे हैं दुश्मनों  के  हौसले आकाश को
उनको भी तू इक गमी दे चैन आये तब कहीं


है लबालब झोली मौसम की गमों से भर रही
फूलों को भी तू हँसी दे, चैन आये तब कहीं


हैं लगी लाशें भी अपना चैन खोने आजकल
मौत को भी जिंदगी दे चैन आये तब कहीं


अश्क तो तूने बहुत मुझको दिये हैं ऐ खुदा
पर लबों को तू हँसी दे चैन आये तब कहीं





फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन, फ़ाइलुन

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Tuesday, April 6, 2010

रोज लड़े हम तुम--gazal

राहत के दो पल
आंखो से ओझल

रोज लड़े हम तुम
निकला कोई हल

न्यौता देतीं नित
दो आंखे चंचल





झेल नहीं पाए
हम अपनो के छल

भीड़ भरे जग से
दूर कहीं ले चल

मौन तुझे पाकर
चुप है कोलाहल

कितने गहरे हैं
रिश्तों के दलद्ल

`श्याम' मिलेंगे ही
आज नहीं तो कल

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