मेरे गम का क्या सबब है
क्या तुम्हे मालूम है
दर्द सहना भी अदब है क्या तुम्हे मालूम है
मानता हूं है बहुत काली मेरी लैला मगर
सादगी उसकी गज़ब है क्या तुम्हे मालूम है
इश्क है गहरा समन्दर पार जाता है वही
डूबने का जिसको ढ़ब है क्या तुम्हे मालूम है
जानता हूं सुध कयामत के दिवस लोगे मेरी
पर जरूरत आज अब है क्या तुम्हें मालूम है।
सायबानो में रकीबों के तेरा हो जिक्र जब
जान जाती मेरी तब है क्या तुम्हे मालूम है
तुम जमाने से छुपा लोगे सखा अपने गुनाह
देखता रहता है वो सब है क्या तुम्हे मालूम है
मीरा राधा गोपियां उद्धव सुदामा गर बनो
श्याम मिलता यार तब है क्या मालूम है
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