Thursday, March 29, 2012

कोई काम आया कब मुसीबत में

 
A-59
ज़ख्म था ज़ख्म का निशान भी था
दर्द  का अपना इक मकान  भी   था

दोस्त  था और    मेहरबान  भी  था
ले रहा      मेरा  इम्तिहान   भी  था

शेयरों    में   गज़ब  उफान   भी था
कर्ज़  में    डूबता      किसान भी था

आस     थी जीने की अभी    बाकी
रास्ते  में मगर    मसान भी था

कोई काम आया  कब  मुसीबत में
कहने को अपना खानदान भी था

मर के दोज़ख मिला तो समझे हम
वाकई   दूसरा      जहान     भी था

उम्र भर साथ  था  निभाना जिन्हें
फासिला उनके   दरमियान भी था

खुदकुशीश्यामकर ली क्यों तूने
तेरी किस्मत में   आसमान भी था
फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन ,फ़ेलुन

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Thursday, March 8, 2012

महका-बहका तन फ़िरै

मौसम की मनुहार सुन, बादल बरसा रात
प्रीत,प्रेम की दे गया, धरती को सौगात

बासन्ती बयार का है, अपना अलग सरूर
बिना घुंघरू नाच रहा,सबका मन मयूर

पौर-पौर छलकै सखी,मेरे मन की प्रीत
उसका क्या कसूर भला,फ़ागुन की यह रीत


गये दिवस ठिठुरन भरे,आया है मधुमास
महका-बहका तन फ़िरै,मन में है उल्लास

मौसम को भी भा गया, फागुन का यह राग
बाहों में गौरी लिये, साजन खेलें फाग


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Wednesday, March 7, 2012

मनवा मा उल्लास है, होली को त्यौहार

दिवस गये ठिठुरन भरे,आया फ़िर मधुमास
बयार बही प्रीत की, मनवा मा उल्लास
मनवा मा उल्लास है, होली को त्यौहार
,भूल पुरानी रार अब, गले लगो सब यार


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