Tuesday, July 31, 2012

बेआबरू होता हूं मैं- gazal by shyam skha shyam

 तुझसे मिलकर सुर्खरू होता हूं मैं
तेरे    जैसा    हू-ब-हू   होता हूं   मैं

जब भी खुदसे रूबरू होता हूं मैं
सच कहूं बेआबरू होता हूं मैं

मुहं हरीफ़ों के हैं खुलते इस कदर
जब भी वजहे गुफ़्तगू होता हूं मैं

 तुझमें मुझमें फ़र्क ही अब क्या रहा
बेखुदी में तू ही तू होता हूं मैं

आपके आगे है मेरी क्या बिसात
नज्म क्या बस हाइकू होता हूं मैं
आपके चहरे पे तल्खी देखकर
दिल से अपने आक- थू होता हूँ मैं
 


मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

Tuesday, July 10, 2012

गैस एजेंसी बाप मरने पर मिली तो, कह उठा-gazal by Dr shyam skha shyam

 
64
मरना तो आसान है  पर जीना है मुश्किल बहुत
चल पड़े इक बार तो  मिल जाएंगी मंजिल बहुत

छोड़िये कश्ती को आप   इक बार तो मझधार में
बाट जोहेंगे  हजरत!     आपकी  साहिल  बहुत

हो गया आसां बहुत ही  आजकल ये  प्यार तो
क्योंकि हैं मिलने लगे यारो उधार अब दिल बहुत

हो चले मायूस थे हम लोग सब के सब  मगर
आपके आने से तो है जम गई महफ़िल  बहुत

गैस एजेंसी बाप मरने पर मिली तो, कह उठा
यार अपने काम आया अबके है करगिल बहुत

साफगोई की  वजह से   ही कबाड़ा  हो गया
श्याम था वर्ना सभी के प्यार के काबिल बहुत

फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन



मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/