Tuesday, October 27, 2009

पहले देंगे जख्म और फिर--- गज़ल



हैं अभी आये अभी कैसे चले जाएँगे लोग
हमसे नादानों को क्या और कैसे समझाएँगे लोग

है नई आवाज धुन भी है नई तुम ही कहो
उन पुराने गीतों को फिर किसलिए गाएँगे लोग

नम तो होंगी आँखें मेरे दुश्मनों की भी जरूर
जग-दिखावे को ही मातम करने जब आएँगे लोग

फेंकते हैं आज पत्थर जिस पे इक दिन देखना
उसका बुत चौराहे पर खुद ही लगा जाएँगे लोग

हादसों को यूँ हवा देते ही रहना है बजा
देखकर धूआँ, बुझाने आग को आएँगे लोग

हमको कुछ कहना पड़ा है आज मजबूरी में यूँ
डर था मेरी चुप से भी तो और घबराएँगे लोग

इतनी पैनी बातें मत कह अपनी ग़ज़लों में ऐ दोस्त
हो के जख्मी देखना बल साँप-से खाएँगे लोग

कौन है अश्कों का सौदागर यहाँ पर दोस्तो
देखकर तुमको दुखी, दिल अपना बहलाएँगे लोग

है बड़ी बेढब रिवायत इस नगर की ‘श्याम’ जी
पहले देंगे जख्म और फिर इनको सहलाएँगे लोग

फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन

16-शुक्रिया जिन्दगी -गज़ल संग्रह से


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Monday, October 19, 2009

तेरी मेरी बात चलेगी-गज़ल

तेरी मेरी बात चलेगी

तेरी मेरी बात चलेगी
सारी-सारी रात चलेगी

दुल्हा होगा चाँद गगन में
तारों की बारात चलेगी

ढाई अक्षर प्यार के होंगे

फिर क्या कोई जात चलेगी


यादों के बादल के सँग-सँग,

अश्को की बरसात चलेगी


सेज सजेगी पलकों की जब

सपनों की सौगात चलेगी


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Wednesday, October 14, 2009

फुटकर शे‘र नं-9- श्याम सखा‘श्याम’





आपसे क्या सलाह कर बैठे
जिन्दगी
हम तबाह कर बैठे

शे सुनने से पहले ही साहिब
आप
तो वाह-वाह कर बैठे

फ़ाइलातुन ,मफ़ाइलुन ,फ़ेलुन






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