Monday, May 25, 2009

मुझमें और सुकरात में बस फ़र्क इतना ही रहागज़ल-६० b





60-b

जिन्दगी को जब कभी सिक्कों से है आँका गया
यूँ लगा दोष आपका था और मुझे डाँटा गया

जब किसी कारण से भी घर था कभी बाँटा गया
दुख हमेशा क्यों मेरे ही वास्ते छांटा गया

शख्स जब कोई गिरा अपने उसूलों से कभी
समझो चाँदी की छड़ी से है उसे हाँका गया

मुझमें और सुकरात में बस फ़र्क इतना ही रहा
पी गया वो जह्‌र पर मुझसे न विष फाँका गया

था गुजरता जब कभी उस शोख के कूचे से मैं
शोर मच जाता था,देखो वह गया, बाँका गया

हमने माना‘श्याम’फक्कड़’और है कुछ बदजुबाँ
पर खरा उतरा है जब परखा गया,जाँचा गया

फाइलातुन,फाइलातुन,फाइलातुन,फ़ाइलुन

10 comments:

  1. हमने माना‘श्याम’फक्कड़’और है कुछ बदजुबाँ
    पर खरा उतरा है जब परखा गया,जाँचा गया

    bahut khoob shyam ji, jab kabhi..............banka gaya.

    fakkad aur banka, wah, behatareen. badhai sweekaren.

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  2. हर एक शेर बेहद खूबसूरत है ..श्याम जी , दिल से निकली आवाज ....अंतस तक मन को छू कर चली गयी ..बेहतरीन अल्फाज ..

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  3. आहहाहा...क्या ग़ज़ल कही है गुरूवर...
    मजा आ गया सर।
    अद्‍भुत काफ़िये
    मतला जबरदस्त है और ये शेर "था गुजरता जब कभी उस शोख के कूचे से मैं/शोर मच जाता था,देखो वह गया, बाँका गया"
    तो बस उफ़्फ़्फ़-वाह-हाय में उलझा हुआ है...

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  4. पर एक बात माह नहीं आई ६० b
    से क्या अभिप्राय है

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. माह * नहीं समझ शब्द लिखना चाह रही थी actually translitrary device is not working properly....sorry for inconvienience...(:

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  7. a- मेरा प्रकाशित गजल संग्रह है इसमे सारी छोटी बहर की गज़ल है

    b- अभी अप्रकाशित गज़ल सं की क्रमांक ६० नं गज़ल है क्रम में
    श्याम

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  8. शख्स जब कोई गिरा अपने उसूलों से कभी
    समझो चाँदी की छड़ी से है हाँका गया...
    बहुत खूब .

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  9. आपकी गजल वाकई... दिल को छू जाती है...
    बहुत उम्दा किस्म के शेरों के लिये आपकी बधाई...

    समझो चाँदी की छड़ी से है (??????) हाँका गया

    समझो चाँदी फाइलातुन
    की छड़ी से फाइलातुन
    है (??????) हाँ फाइलातुन
    का गया फ़ाइलुन

    श्याम जी
    गुस्ताखी माफ़ मगर इस मिसरे में आप शायद टाईप करने में (उसे ) शब्द को टाईप करना भूल गए


    वीनस केसरी

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  10. मित्रो ग़ज़ल कबूलने के लिये आप सभी को धन्यवाद । यह मेरी पसन्दीदा गज़लों में से एक है
    केशरी जी धन्यवाद वाकई टंकण में उसे छूट गया था अब टंकित कर दिया है। पुन: धन्यवाद
    श्याम सखा

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