Thursday, May 7, 2009


मुहब्बत की वापिस निशानी करें
शुरू फिर जो चाहें कहानी करें


है घाटे का सौदा मुहब्बत सदा
हिसाब अब लिखें या जुबानी करें

चलो
नागफनियाँ उखाड़ें सभी
वहाँ
फिर खड़ी रात-रानी करें

है रुत पर भला बस किसी का चला
चलो बातें ही
हम सुहानी करें

खरीदे बुढापे को कोई नहीं
सभी तो पसन्द
अब जवानी करें

बहुत
जी लिये और मर भी लिये
बता
क्या तेरा जिन्दगानी करें

रवायत नहीं ‘श्याम’ जब ये भली
तो फिर बातें क्यों हम पुरानी करें


फ़ऊलुन।फ़ऊलुन।फ़ऊलुन।फ़ऊलुन।

14 comments:

  1. wah shyam ji, mast gazal , sabhi sher umda, badhai.

    ReplyDelete
  2. चलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी
    वहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें

    --बहुत सही, भाई!! बेहतरीन!!

    ReplyDelete
  3. बहुत जी लिये और मर भी लिये
    बता क्या तेरा जिन्दगानी करें....
    वाह क्या कहनें हैं .

    ReplyDelete
  4. वाह! इसके अलावा और कोई शब्द सूझा नहीं इसे पढ़ने के बाद। कुछ ही गज़लें होती हैं जो प्रभावित करती है। ये गज़ल अच्छी लगी।

    ReplyDelete
  5. है घाटे का सौदा मुहब्बत सदा
    हिसाब अब लिखें या जुबानी करें

    चलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी
    वहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें

    सुभान अल्लाह...क्या बात है श्याम जी...क्या शेर लिखें हैं आपने...वाह...तबियत खुश हो गयी आपकी ये खूबसूरत ग़ज़ल पढ़ कर...
    नीरज

    ReplyDelete
  6. वाह श्याम जी ग़ज़ल में मतले पे तो सब कुछ निछावर .. आपको दिल्ली लिख दिया मैंने... बहोत ही कमाल का बन पडा है ये तो ... उफ्फ्फ्फ़ .. और ये दो शे'र ..

    है घाटे का सौदा मुहब्बत सदा
    हिसाब अब लिखें या जुबानी करें

    चलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी
    वहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें

    क्या बात है दिल लूट के ले गए आपतो बहोत ही कमाल की ग़ज़ल..
    आपका
    अर्श

    ReplyDelete
  7. चलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी
    वहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें

    is Ghazal ka yeh mera sabse pasandeeda She'r!

    Pranaam
    RC

    ReplyDelete
  8. खरीदे बुढापे को कोई नहीं
    सभी तो पसन्द अब जवानी करें

    ग़ज़ल के उपरोक्त शेर के तारीफ अब तक क्यों न हुई, समझ न सका. मेरे हिसाब से यह शेर भी बेमिसाल है.

    बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त

    ReplyDelete
  9. खरीदे बुढापे को कोई नहीं
    सभी तो पसन्द अब जवानी करें

    बहुत जी लिये और मर भी लिये
    बता क्या तेरा जिन्दगानी करें

    क्या बात कह दी है श्याम जी, बहुत बढ़िया,
    लाजवाब !!

    क्या बात है!!

    ReplyDelete
  10. गज़ल कबूलने के लिये आप सभी का आभार
    श्याम सखा

    ReplyDelete
  11. गज़ल अच्छी लगी

    खरीदे बुढापे को कोई नहीं
    सभी तो पसन्द अब जवानी करें

    ReplyDelete
  12. हुज़ूर सारी नागफ़नीं उखाड कर ,रात की रानी ही लगा देंगे तो कौन रहेगा दामन थामने वाला -
    -----गुलों से खार बेहतर हैं,
    ----जो दामन थाम लेते हैं।-
    खैर गज़ल लाज़बाव है , कुछ कांटे भी रहने चाहिये ।

    ReplyDelete
  13. नागफनियाँ उखाड कर रातरानी खड़ी करें /जी भी लिए मर भी लिए बता अब क्या करें ,बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  14. है घाटे का सौदा मुहब्बत सदा
    हिसाब अब लिखें या जुबानी करें

    चलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी
    वहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें

    लाज़बाव!!!

    आभार
    स्वप्न मंजूषा
    http://swapnamanjusha.blogspot.com/

    ReplyDelete