Wednesday, December 16, 2009

दुश्मन यार जमाना है

खुद को ही समझाना है
यानि पहाड़ उठाना है

प्यार कभी होता होगा
अब तो यार फ़साना है

केवल शक के कारण ही
उलझा तान-बाना है

नाचे है, क्यों दिल मेरा
मौसम खूब सुहाना है

उसका बचना मुश्किल है
दुश्मन यार जमाना है

आज नहीं तो कल यारा
लौट सभी को जाना है

तुमसे दूर ‘सखा’जाना
जीते जी मर जाना है

फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ा


मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/

19 comments:

  1. हर पंक्ति बहुत कुछ कहते हुये, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  2. सीधे सीधे साफ़ साफ़ दिल को छुते शेर हैं

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  3. सभी शेर सीधे सरल और नायब...
    बहुत बहुत बधाई...

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  4. बहुत सुन्दर रचना है।...बधाई।

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  5. बेहतरीन गजल

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  6. तुमसे दूर ‘सखा’जाना
    जीते जी मर जाना है

    सुन्दर अहसास।

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  7. आज नहीं तो कल यारा
    लौट सभी को जाना है

    बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...सभी शेर लाजवाब...छोटे छोटे लफ्ज़ गहरी गहरी बातें...
    नीरज

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  8. जनाब श्याम सखा जी,
    इस शेर की जितनी दाद ले सकते हैं, लीजिये-
    केवल शक के कारण ही
    उलझा तान-बाना है
    और हां, अपने जैसे शायर हजरात के जितने ब्लाग आप जानते हैं,
    हमें भी बताने की इनायत फरमायें
    शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

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  9. आज नहीं तो कल यारा
    लौट सभी को जाना है

    bahut khoob.

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  10. प्यार कभी होता होगा
    अब तो यार फ़साना है

    केवल शक के कारण ही
    उलझा तान-बाना है ...

    वाह ....... कितनी सच्ची और गहरी बात शेर के माध्यम से कही ............

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  11. अच्छी ग़ज़ल है डाक्टर साब। कमाल का मक्ता।

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  12. प्यार कभी होता होगा
    अब तो यार फ़साना है

    केवल शक के कारण ही
    उलझा तान-बाना है

    आज नहीं तो कल यारा
    लौट सभी को जाना है


    kitni sachhai ke sath aapne sachh ko prastut kiya hai.............. laajwab..........

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  13. wah, saare bahut badhiya she'r he.
    खुद को ही समझाना है
    यानि पहाड़ उठाना है,
    aapka shuraati she'r, masha allah..bahut khoob he..jeevan darshan yukt.

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  14. बेहतरीन ग़ज़ल हर शेर उम्दा
    बहुत -२ आभार

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