खुद को ही समझाना है
यानि पहाड़ उठाना है
प्यार कभी होता होगा
अब तो यार फ़साना है
केवल शक के कारण ही
उलझा तान-बाना है
नाचे है, क्यों दिल मेरा
मौसम खूब सुहाना है
उसका बचना मुश्किल है
दुश्मन यार जमाना है
आज नहीं तो कल यारा
लौट सभी को जाना है
तुमसे दूर ‘सखा’जाना
जीते जी मर जाना है
फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ा
मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/
achchhee gajal , shukriyaa
ReplyDeleteहर पंक्ति बहुत कुछ कहते हुये, बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसीधे सीधे साफ़ साफ़ दिल को छुते शेर हैं
ReplyDeleteसभी शेर सीधे सरल और नायब...
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई...
बहुत सुन्दर रचना है।...बधाई।
ReplyDeleteबस एक शब्द कहूँगा- लाजवाब।
ReplyDelete--------
छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?
बेहतरीन गजल
ReplyDeleteतुमसे दूर ‘सखा’जाना
ReplyDeleteजीते जी मर जाना है
सुन्दर अहसास।
आज नहीं तो कल यारा
ReplyDeleteलौट सभी को जाना है
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...सभी शेर लाजवाब...छोटे छोटे लफ्ज़ गहरी गहरी बातें...
नीरज
waah !
ReplyDeletemubaaraq ho bhai !
जनाब श्याम सखा जी,
ReplyDeleteइस शेर की जितनी दाद ले सकते हैं, लीजिये-
केवल शक के कारण ही
उलझा तान-बाना है
और हां, अपने जैसे शायर हजरात के जितने ब्लाग आप जानते हैं,
हमें भी बताने की इनायत फरमायें
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
आज नहीं तो कल यारा
ReplyDeleteलौट सभी को जाना है
bahut khoob.
प्यार कभी होता होगा
ReplyDeleteअब तो यार फ़साना है
केवल शक के कारण ही
उलझा तान-बाना है ...
वाह ....... कितनी सच्ची और गहरी बात शेर के माध्यम से कही ............
mujhe to har sher bahut achha lagaa badhaaI
ReplyDeleteWah Bhai Saheb wah...
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल है डाक्टर साब। कमाल का मक्ता।
ReplyDeleteप्यार कभी होता होगा
ReplyDeleteअब तो यार फ़साना है
केवल शक के कारण ही
उलझा तान-बाना है
आज नहीं तो कल यारा
लौट सभी को जाना है
kitni sachhai ke sath aapne sachh ko prastut kiya hai.............. laajwab..........
wah, saare bahut badhiya she'r he.
ReplyDeleteखुद को ही समझाना है
यानि पहाड़ उठाना है,
aapka shuraati she'r, masha allah..bahut khoob he..jeevan darshan yukt.
बेहतरीन ग़ज़ल हर शेर उम्दा
ReplyDeleteबहुत -२ आभार