आज कुछ कर गुजरने वाला हूँ
बन के खुशबू बिखरने वाला हूँ
तोड़ दो कसमें, दो भुला वादे
मैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ
टूटकर बिखरा हूं इस तरह यारो
अब कहाँ मैं संवरने वाला हूँ
जिन्दगी कर दे हसरतें पूरी
खुदकुशी अब मैं करने वाला हूँ
देख लो तुम मुझे सजा देकर
मै भला कब सुधरने वाला हूँ
फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन,फ़ेलुन
मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/
यह शेर तो प्यारा लगा -
ReplyDeleteतोड़ दो कसमें, दो भुला वादे मैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ
एक बेलगाम शेर हमें भी सूझा-
रूह सा रहने की हसरत जन्मी
,
जीस्त में अब निखरने वाला हूँ
जिन्दगी कर दे हसरतें पूरी
ReplyDeleteखुदकुशी अब मैं करने वाला हूँ ...
क्या मस्त शेर कहा है .......... लाजवाब सर ........
wah kya baat hai shyamji.gazal ka har sher kabile-daad hai.badhai.meri nai gazal per bhi nazar dal len zara.
ReplyDeleteतोड़ दो कसमें, दो भुला वादे
ReplyDeleteमैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ
वाह, बिलकुल नए अंदाज़ में ।
जिन्दगी कर दे हसरतें पूरी
ReplyDeleteखुदकुशी अब मैं करने वाला हूँ
shyam ji aisa nahin karte.
behatareen rachna, badhaai.
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
ReplyDeleteदेख लो तुम मुझे सजा देकर
ReplyDeleteमै भला कब सुधरने वाला हूँ
बहुत सुंदर, लेकिन मैने आज तक किसी को सुधरते नही देखा
Sahi Kahaa.
ReplyDeleteWaise hamen pahle se maaloom tha.
H H haa.
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अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।
पुरुषों के श्रेष्ठता के 'जींस' से कैसे निपटे नारी?
"तोड़ दो कसमें, दो भुला वादे
ReplyDeleteमैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ"
बहुत खूब सर!
बहुत अच्छी ग़ज़ल।
ReplyDeleteदेख लो तुम मुझे सजा देकर
ReplyDeleteमै भला कब सुधरने वाला हूँ
वाह श्याम जी वाह...क्या खुद्दारी है...बेहतरीन ग़ज़ल.
नीरज
तोड़ दो कसमें, दो भुला वादे
ReplyDeleteमैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ
-वाह!! क्या बात है जनाब!!
shyamji,
ReplyDeletekhoobsoorat shbdo se piroi gai gazal.
आज कुछ कर गुजरने वाला हूँ
बन के खुशबू बिखरने वाला हूँ
to janaab fir ye she'r ki-
जिन्दगी कर दे हसरतें पूरी
खुदकुशी अब मैं करने वाला हूँ
esa mat kijiyegaa..
bahut damdaar gazal he/
Bahut achhi gazal hai sir ji..
ReplyDeleteSimply supperb..
Har sher mukammal hai.. [:)]
wah saheb wah...
ReplyDeletekhudkushi to aap ne shayar banate hi kar li thi..
फँस न जाऊँ ग़ज़ल के चक्कर में,
ReplyDeleteमैं तो बचकर निकलनेवाला हूँ!