Wednesday, December 23, 2009

मै भला कब सुधरने वाला हूँ

आज कुछ कर गुजरने वाला हूँ
बन के खुशबू बिखरने वाला हूँ

तोड़ दो कसमें, दो भुला वादे
मैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ

टूटकर बिखरा हूं इस तरह यारो
अब कहाँ मैं संवरने वाला हूँ


जिन्दगी कर दे हसरतें पूरी
खुदकुशी अब मैं करने वाला हूँ

देख लो तुम मुझे सजा देकर
मै भला कब सुधरने वाला हूँ

फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन,फ़ेलुन

मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/

16 comments:

  1. यह शेर तो प्‍यारा लगा -
    तोड़ दो कसमें, दो भुला वादे मैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ

    एक बेलगाम शेर हमें भी सूझा-
    रूह सा रहने की हसरत जन्‍मी
    ,
    जीस्‍त में अब नि‍खरने वाला हूँ

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  2. जिन्दगी कर दे हसरतें पूरी
    खुदकुशी अब मैं करने वाला हूँ ...

    क्या मस्त शेर कहा है .......... लाजवाब सर ........

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  3. wah kya baat hai shyamji.gazal ka har sher kabile-daad hai.badhai.meri nai gazal per bhi nazar dal len zara.

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  4. तोड़ दो कसमें, दो भुला वादे
    मैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ

    वाह, बिलकुल नए अंदाज़ में ।

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  5. जिन्दगी कर दे हसरतें पूरी
    खुदकुशी अब मैं करने वाला हूँ

    shyam ji aisa nahin karte.

    behatareen rachna, badhaai.

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  6. अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।

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  7. देख लो तुम मुझे सजा देकर
    मै भला कब सुधरने वाला हूँ
    बहुत सुंदर, लेकिन मैने आज तक किसी को सुधरते नही देखा

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  8. "तोड़ दो कसमें, दो भुला वादे
    मैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ"

    बहुत खूब सर!

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  9. बहुत अच्छी ग़ज़ल।

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  10. देख लो तुम मुझे सजा देकर
    मै भला कब सुधरने वाला हूँ
    वाह श्याम जी वाह...क्या खुद्दारी है...बेहतरीन ग़ज़ल.
    नीरज

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  11. तोड़ दो कसमें, दो भुला वादे
    मैं तो खुद भी मुकरने वाला हूँ


    -वाह!! क्या बात है जनाब!!

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  12. shyamji,
    khoobsoorat shbdo se piroi gai gazal.
    आज कुछ कर गुजरने वाला हूँ
    बन के खुशबू बिखरने वाला हूँ
    to janaab fir ye she'r ki-
    जिन्दगी कर दे हसरतें पूरी
    खुदकुशी अब मैं करने वाला हूँ

    esa mat kijiyegaa..
    bahut damdaar gazal he/

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  13. Bahut achhi gazal hai sir ji..
    Simply supperb..

    Har sher mukammal hai.. [:)]

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  14. wah saheb wah...
    khudkushi to aap ne shayar banate hi kar li thi..

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  15. फँस न जाऊँ ग़ज़ल के चक्कर में,
    मैं तो बचकर निकलनेवाला हूँ!

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