Tuesday, December 29, 2009

फ़ुटकर शे‘र नं ११- हैं बहुत नाजुक मगर

हैं बहुत नाजुक मगर डरते नहीं हैं आइने
फ़र्क
शाहो बांदी में करते नहीं हैं आइने


टूट जाते हैं बिखर जाते है फ़िर भी दोस्तो
अक्स
दिखलाने से तो हटते
नहीं हैं आइने



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ईता दोष गज़ल में दूर कर लिया है
मेरा एक औ ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/

7 comments:

  1. बहुत सुंदर लिखा आप ने
    धन्यवाद

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  2. अक्स दिखलाने से तो हटते नहीं हैं आइने.

    यही ग़ज़ल की भूमिका है. बहुत खूब.

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  3. होते अगर न आईने तो झूठ भी न होता
    रहमदिल जमी होती मेहरबां आसमां होता

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  4. टूट जाते हैं बिखर जाते है फ़िर भी दोस्तो
    अक्स दिखलाने से तो हटते नहीं हैं आइने
    ... behatreen !!!!!!

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  5. नववर्ष मंगलमय हो व आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।
    सुन्दर प्रस्तुति

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