पावों जंजीर लिखी मौला मौला
सांसे दी ,धड़कन भी दी लेकिन
जीने की नहीं तदबीर लिखी मौला
ढूंढ़ रहा है बेचारा रांझाइस बार नहीं हीर लिखी मौला
नन्हे-मुन्नो की तख्ती पर क्यों
बात गुरू-गम्भीर लिखी मौला
फ़ूलो की महफ़िल में क्यों तूने
कांटो की तसवीर लिखी मौला
श्याम सखा’ की किस्मत में तो बस
हर बार वही पीर लिखी मौला
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
वाह श्याम जी ... क्या गजब की ग़ज़ल है ... पढकर बहुत अच्छा लगा ... इतनी गहरी बात आप कितनी अच्छी और ज़ोरदार ढंग से लिखे हैं ...
ReplyDeleteनन्हे-मुन्नो की तख्ती पर क्यों
बात गुरू-गम्भीर लिखी तुमने
लाजवाब ...!
शानदार!
ReplyDelete्वाह वाह्………………।बहुत सुन्दर्।
ReplyDeleteनन्हे-मुन्नो की तख्ती पर क्यों
ReplyDeleteबात गुरू-गम्भीर लिखी तुमने---अच्छी गज़ल.
---यदि नन्हे-मुन्नों को प्रारम्भ से ही गुरु-गम्भीर के महत्व नहीं बताना शुरु करेंगे तो बाद में वे स्कूलों में गोलियां चलायेंगे.
बहुत सुंदर गजल जी
ReplyDeleteये कैसी तकदीर लिखी तुमने
ReplyDeleteपावों में जंजीर लिखी तुमने
वाह श्याम जी मज़ा आ गया
सीखने के लिहाज से भी उम्दा गजल
बहुत मज़ा आया
उफ़ कितना जोड़ना पड़ा :)
सोचते हैं फिर से गिनती सीखना शुरू करें :)
फ़ूलो की महफ़िल में क्यों यारब
ReplyDeleteकांटो की तसवीर लिखी तुमने .....
इन पंक्तियों ने दिल को छु लिया .... बहुत शानदार ग़ज़ल लिखी है आपने....
--
www.lekhnee.blogspot.com
Regards...
Mahfooz..
wow! bhut khoob..
ReplyDeleteफ़ूलो की महफ़िल में क्यों यारब
ReplyDeleteकांटो की तसवीर लिखी तुमने
---सुन्दर!!
बहुत सुन्दर गजल है....बधाई।
ReplyDeleteAnand Aa Gaya,
ReplyDeleteSaadar,
Mukesh Kumar Tiwari
नन्हे-मुन्नो की तख्ती पर क्यों
ReplyDeleteबात गुरू-गम्भीर लिखी तुमने
गज़ब की रचना
बहुत खूब
क्या शेर है श्याम जी
ReplyDeleteसांसे दी ,धड़कन भी दी लेकिन
जीने की नहीं तदबीर लिखी तुमने
और इस पर तो कुर्बान हो गए हम
ढूंढ़ रहा है बेचारा रांझा
इस बार नहीं हीर लिखी तुमने
आप सभी का हृदय से आभार
ReplyDeletekya bat hai bat dil tak pahonch di
ReplyDeleteबहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गयी!
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