Tuesday, September 21, 2010

बेवफ़ाई थी उसकी फ़ितरत में - gazal

 जिन्दगी कब है मो‘तबर बाबा
ये तो है आरज़ी सफ़र   बाबा

बेवफ़ाई थी उसकी फ़ितरत में
जान दी हमने  जानकर बाबा

मेरे अश्कों मेरे नालों का
आप पर भी हुआ असर बाबा

जिसके साये में प्यार पलता है
काट देंगे वही शजर  बाबा

खुशियां घटती नहीं हैं बँटने से
दर्द बढ़ता है   फ़ैलकर   बाबा

`श्याम’सच्चा है,सीधा सादा है
इसको आता नहीं हुनर बाबा

dbgm68

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Thursday, September 9, 2010

सबको खूब खला था वो- गज़ल

सबको खूब खला था वो
मानुष एक भला था वो

काटा जितनी बार गया
उतनी बार फला था वो

रीझ गई वृषभानुलली
आखिर नन्दलला था वो

जिसने जैसा ढाला था
वैसा ठीक ढ़्ला था वो

मन्जिल खुद ही आ पहुंची
गिर-गिर कर संभला था वो

सबके गम लेकर भागा
कह्ते सब पगला था वो

याद करे है अब भी ‘श्याम’
यू इक बार मिला था वो

 71/d b gm
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