जिन्दगी कब है मो‘तबर बाबा
ये तो है आरज़ी सफ़र बाबा
बेवफ़ाई थी उसकी फ़ितरत में
जान दी हमने जानकर बाबा
मेरे अश्कों मेरे नालों का
आप पर भी हुआ असर बाबा
जिसके साये में प्यार पलता है
काट देंगे वही शजर बाबा
खुशियां घटती नहीं हैं बँटने से
दर्द बढ़ता है फ़ैलकर बाबा
`श्याम’सच्चा है,सीधा सादा है
इसको आता नहीं हुनर बाबा
dbgm68
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
बेहतरीन ....वाह!!!!
ReplyDeleteजिसके साये में प्यार पलता है
काट देंगे वही शजर बाबा
खुशियां घटती नहीं हैं बँटने से
दर्द बढ़ता है फ़ैलकर बाबा
`श्याम’सच्चा है,सीधा सादा है
इसको आता नहीं हुनर बाबा
बेमिसाल ग़ज़ल के लिए शुक्रिया|
बेवफ़ाई थी उसकी फ़ितरत में
ReplyDeleteजान दी हमने जानकर बाबा
खुशियां घटती नहीं हैं बँटने से
दर्द बढ़ता है फ़ैलकर बाबा
वाह ! बेहद उम्दा ...आभार
यहाँ भी पधारे
विरक्ति पथ
आरज़ियत का जवाब नहीं.............
ReplyDeleteवाह....बहुत ख़ूब !
‘ये तो है आरज़ी सफ़र बाबा’
ReplyDeleteफिर भी हमे कितना लगाव होता है जीवन से !!!!!!
बेवफ़ाई थी उसकी फ़ितरत में
ReplyDeleteजान दी हमने जानकर बाबा
मेरे अश्कों मेरे नालों का
आप पर भी हुआ असर बाबा
जिसके साये में प्यार पलता है
काट देंगे वही शजर बाबा
खुशियां घटती नहीं हैं बँटने से
दर्द बढ़ता है फ़ैलकर बाबा
kua kahoo........
Nice poem,cherished well
ReplyDeleteलाजवाब ! बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल !
ReplyDeleteरोचक और सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर,सच्चे प्यार करने वाले ही जानते हैं,
ReplyDeleteजिसके साये में प्यार पलता है
काट देंगे वही शजर बाबा
बेवफ़ाई थी उसकी फ़ितरत में
जान दी हमने जानकर बाबा
सुन्दर ग़ज़ल