Monday, March 21, 2011

क्या धरा है भला प्यार में तू बता------gazal-गज़ल

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खामखा हो दुखी तुम यू जाने-मन
खार तो  देते ही हैं सभी को चुभन

क्या धरा है भला प्यार में तू बता
अश्क, कुछ, कुछ धुआं और थोड़ी जलन

मजिंलों की तरफ है सभी की नजर
देखता  कौन है रास्तों की थकन

बेइमानी, दगा और झूठी कसम
है जमाने का यारो यही तो चलन

बच के रहना जरा ‘श्याम’ से दोस्तो
छल न जाये तुम्हें सांवरा बांकपन


फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन



मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

8 comments:

  1. बेइमानी, दगा और झूठी कसम
    है जमाने का यारो यही तो चलन
    सुन्दर

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  2. बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल !
    आपको और आपके परिवार को होली की ढेरो हार्दिक शुभकामनायें !

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  3. इस उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई!
    आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  4. क्या धरा है भला प्यार में तू बता
    बेइमानी, दगा और झूठी कसम

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  5. बच के रहना जरा ‘श्याम’ से दोस्तो
    छल न जाये तुम्हें सांवरा बांकपन

    बहुत सुन्दर ।

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  6. मजिंलों की तरफ है सभी की नजर
    देखता कौन है रास्तों की थकन

    aap ki soch to Robert Frost ki lines "The woods are lovely.....but I have miles to go before I sleep" se wiparit hai, aur yah sahi bhi hai.
    Kaafi umda Ghazal.
    Kripya font to change karen, padney mein dikkat ati hai.
    Subhashis Das

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  7. खामखा हो दुखी तुम यू जाने-मन
    खार तो देते ही हैं सभी को चुभन

    क्या धरा है भला प्यार में तू बता
    अश्क, कुछ, कुछ धुआं और थोड़ी जलन
    Oh wah! Gazab kee gazal kahee hai aapne!

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  8. क्या धरा है भला प्यार में तू बता
    अश्क, कुछ, कुछ धुआं और थोड़ी जलन
    अजी उन से पूछो जो इस मे जलते हे....
    बहुत खुब, धन्यवाद

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