Saturday, April 7, 2012

हमने माना‘श्याम’फक्कड़’और है कुछ बदजुबाँ-gazal shyam skha shyam


60-a
जिन्दगी को जब कभी सिक्कों से है आँका गया
यूँ लगा दोष  आपका था और मुझे डाँटा गया

जब किसी कारण से भी घर था कभी बाँटा गया
दुख  हमेशा  क्यों मेरे  ही वास्ते  छांटा गया

शख्स जब  कोई  गिरा अपने उसूलों से कभी
समझो  चाँदी  की छड़ी  से है   हाँका  गया

मुझमें  और सुकरात में बस फ़र्क इतना ही रहा
पी गया वो जह् पर मुझसे विष फाँका गया

था गुजरता जब कभी उस शोख के कूचे से मैं
शोर मच जाता थादेखो वह गया, बाँका गया

हमने मानाश्यामफक्कड़और है कुछ बदजुबाँ
पर खरा उतरा है जब परखा गया,जाँचा गया

फाइलातुन,फाइलातुन,फाइलातुन,फ़ाइलुन


मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

7 comments:

  1. जबरदस्त...वाह! हर शेर पर दाद कबूलो भाई...

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    1. शुक्रिया जनाब-गज़ल नवजने के लिये
      श्याम सखा श्याम

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  2. हर शेर उम्‍दा।
    था गुजरता जब कभी उस शोख के कूचे से मैं
    शोर मच जाता था, देखो वह गया, बाँका गया
    क्‍या जलवे रहे होंगे।

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  3. शख्स जब कोई गिरा अपने उसूलों से कभी
    समझो चाँदी की छड़ी से है हाँका गया
    तिहाड़ जाता है यह रास्ता .अच्छी ग़ज़ल .

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  4. जिन्दगी को जब कभी सिक्कों से है आँका गया
    यूँ लगा दोष आपका था और मुझे डाँटा गया
    बहुत ही नए काफिये और सम्पूर्ण अर्थपूर्ण धनद से इस्तेमाल हुए है,
    हाँका जाता है....बहुत खूब!!

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  5. आप सभी का शुक्रिया

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  6. हर शेर उम्दा किंतु ये अश’आर लाजवाब -

    "मौत भी तो कमाल करती है
    साँसों की देखभाल करती है

    रूठकर मुझसे मेरी जानेमन
    मेरी ज्यादा सँभाल करती है"

    वाह !

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