Wednesday, April 18, 2012

जीस्त जब भी सवाल करती है---gazal dr shyam skha shyam



जीस्त जब भी सवाल करती है 

मेरा जीना  मुहाल करती  है

मौत भी तो कमाल करती है 

साँसों कि देखभाल करती है

रूठकर मुझसे मेरी जानेमन
मेरी ज्यादा सँभाल करती है  


चाँद की बेवफाई पर उजाला 
जुगनुओं की मशाल करती है

जागती रातभर है बैरन रात 
नींद बैठी मलाल करती है 

याद आती 'श्याम' जब तेरी 
मेरी धड़कन धमाल करती है



मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

12 comments:

  1. जीस्त जब भी सवाल करती है
    मेरा जीना मुहाल करती है
    वाह साहब वाह।

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  2. आभार कपूर साहिब,
    मौत और रूठकर वाले अशआर को भी गौर फ़रमायें जरा।

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  3. jiyo shyaamji..........bahut dinon baad aapki gazal baanchne ko mili.....aanand aa gaya ......


    मौत भी तो कमाल करती है
    साँसों कि देखभाल करती है

    रूठकर मुझसे मेरी जानेमन
    मेरी ज्यादा सँभाल करती है

    waah ! laajawab she'r.......badhaai !

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  4. संवेदना की प्रस्तुति ही इसकी प्रमुख विशेषता है।

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  5. Raghunath Misra4/18/12, 6:48 PM

    मेरी धडकन धमाल करती है.क्या बात है.

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  6. Surendra Arora4/19/12, 8:25 AM

    Mn ko chooti hain kuch laene

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  7. bahut khoooooooooooooooob !!! Jubaan ki shayri hai

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  8. सभी कमाल के हैं .
    अति सुन्दर .

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  9. श्याम जी
    अच्छी ग़ज़ल .....सारे शेर ज़िन्दगी की सच्चाइयों खूबसूरती से बयाँ करते हैं....! अच्छे मतले पर बुनी एक अच्छी ग़ज़ल....!

    मौत भी तो कमाल करती है
    साँसों की देखभाल करती है
    वाह क्या शेर है.....

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  10. शुक्रिया हुजूर ग़ज़ल कबूल कर आप sabhee ne मेरे जख्म सहला दिए

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  11. बहुत खूबसूरत गज़ल.......
    दाद कबूल करें....


    सादर.
    अनु

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