मेरा जीना मुहाल करती है
मौत भी तो कमाल करती है
साँसों कि देखभाल करती है
रूठकर मुझसे मेरी जानेमन
चाँद की बेवफाई पर उजाला
जुगनुओं की मशाल करती है
जागती रातभर है बैरन रात
नींद बैठी मलाल करती है
याद आती 'श्याम' जब तेरी
मेरी धड़कन धमाल करती है
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
जीस्त जब भी सवाल करती है
ReplyDeleteमेरा जीना मुहाल करती है
वाह साहब वाह।
आभार कपूर साहिब,
ReplyDeleteमौत और रूठकर वाले अशआर को भी गौर फ़रमायें जरा।
jiyo shyaamji..........bahut dinon baad aapki gazal baanchne ko mili.....aanand aa gaya ......
ReplyDeleteमौत भी तो कमाल करती है
साँसों कि देखभाल करती है
रूठकर मुझसे मेरी जानेमन
मेरी ज्यादा सँभाल करती है
waah ! laajawab she'r.......badhaai !
संवेदना की प्रस्तुति ही इसकी प्रमुख विशेषता है।
ReplyDeleteमेरी धडकन धमाल करती है.क्या बात है.
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteMn ko chooti hain kuch laene
ReplyDeletebahut khoooooooooooooooob !!! Jubaan ki shayri hai
ReplyDeleteसभी कमाल के हैं .
ReplyDeleteअति सुन्दर .
श्याम जी
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल .....सारे शेर ज़िन्दगी की सच्चाइयों खूबसूरती से बयाँ करते हैं....! अच्छे मतले पर बुनी एक अच्छी ग़ज़ल....!
मौत भी तो कमाल करती है
साँसों की देखभाल करती है
वाह क्या शेर है.....
शुक्रिया हुजूर ग़ज़ल कबूल कर आप sabhee ne मेरे जख्म सहला दिए
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल.......
ReplyDeleteदाद कबूल करें....
सादर.
अनु