Tuesday, July 31, 2012

बेआबरू होता हूं मैं- gazal by shyam skha shyam

 तुझसे मिलकर सुर्खरू होता हूं मैं
तेरे    जैसा    हू-ब-हू   होता हूं   मैं

जब भी खुदसे रूबरू होता हूं मैं
सच कहूं बेआबरू होता हूं मैं

मुहं हरीफ़ों के हैं खुलते इस कदर
जब भी वजहे गुफ़्तगू होता हूं मैं

 तुझमें मुझमें फ़र्क ही अब क्या रहा
बेखुदी में तू ही तू होता हूं मैं

आपके आगे है मेरी क्या बिसात
नज्म क्या बस हाइकू होता हूं मैं
आपके चहरे पे तल्खी देखकर
दिल से अपने आक- थू होता हूँ मैं
 


मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

10 comments:

  1. बहुत बढ़िया गज़ल श्याम जी...
    आपके आगे है मेरी क्या बिसात
    नज्म क्या बस हाइकू होता हूं मैं
    :-)
    बहुत खूब...

    अनु

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  2. आपके आगे है मेरी क्या बिसात
    नज्म क्या बस हाइकू होता हूं मैं

    ओये होए ....

    क्या बात है ....:))

    हाइकू जी बहुत बहुत बधाइयाँ ...!!

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  3. रघुनाथ मिश्र8/1/12, 1:10 PM

    दिलकश गजलों के लिए हार्दिक बधाई.

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  4. आपके आगे है मेरी क्या बिसात
    नज्म क्या बस हाइकू होता हूं मैं
    वाह साहब वाह।
    हाइकू होने में ही आनंद है।
    हाइकू होना जिसे भी आ गया
    जि़ंदगी का सार वो ही पा गया।

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  5. वाह वाह क्‍या नए काफिए बांधे हैं बधाई

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  6. तुझमें मुझमें फ़र्क ही अब क्या रहा
    बेखुदी में तू ही तू होता हूं मैं


    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी .....

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  7. चालीस साल से लिख रहे हैं
    बस तीन सौ गजल लिख पाये हैं
    बहुत ही शराफत से कह रहे हैं
    देखिये जरा मिजाज डाक्टर साहब का एक

    आपके चहरे पे तल्खी देखकर
    दिल से अपने आक- थू होता हूँ मैं

    क्या गजब कहा है ये कहाँ कह रहे हैं !!

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  8. .

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    आदरणीय श्याम सखा 'श्याम' जी
    सस्नेह अभिवादन !
    *जन्मदिन की हार्दिक बधाई !*
    **हार्दिक शुभकामनाएं !**


    सम्पूर्ण ह्रदय से बधाइयां !
    ****मंगलकामनाएं !****

    राजेन्द्र स्वर्णकार
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